पहाड़ों पर घूमने का है प्लान? तो जान लें क्या है ब्लैक आइस, जो बन सकती है आपके विंटर वेकेशन में रोड़ा
सर्दियों में पहाड़ों पर घूमना रोमांचक होता है, पर ब्लैक आइस एक खतरा है। यह पारदर्शी बर्फ की परत सड़कों पर जम जाती है और दिखती नहीं, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं। ब्लैक आइस से बचने के लिए सावधानी से गाड़ी चलाएं, धीरे चलें और अचानक ब्रेक न लगाएं। आइए जानते हैं इसके बारे में सब विस्तार से।

ब्लैक आइस: सर्दियों में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो जानिए इससे कैसे बचें (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दियों का मौसम आते ही लोग अक्सर घूमने का प्लान बनाने लगते हैं। विंटर में घूमने का मजा अक्सर ऐसी जगहों पर आता है, जहां बर्फबारी देखने को मिले। इसलिए लोग हर साल सर्दियां आते ही पड़ाहों पर जाने का प्लान बनाते हैं।
सर्दियों में घूमने के लिए अक्सर हिचामल और जम्मू-कश्मीर लोगों की पहली पसंद रहता है। हालांकि, अक्सर यहां ब्लैक आइसिंग की समस्या देखने को मिलती हैं। ब्लैक आइस की समस्या अक्सर बर्फबारी वाले इलाकों में देखने को मिलती है। यह आम बर्फ से अलग और खतरनाक होता है। अगर आप भी आने वाली दिनों में किसी बर्फीली जगह पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे क्या होती है ब्लैक आइस और क्यों इसे खतरनाक माना जाता है?
क्या होती है ब्लैक आइस?
ब्लैक आइस या काली बर्फ, चमकदार बर्फ की एक पतली और पारदर्शी परत होती है, जो आमतौर पर सड़कों और पैदल मार्गों जैसी जगहों पर जम जाती है। इस बर्प के जमने की वजह से सड़क और पैदल मार्ग काफी फिसलन भरे और खतरनाक हो जाते हैं।
इसे "ब्लैक" आइस इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह लगभग अदृश्य होती है और नीचे की काली सड़क या फुटपाथ की वजह से इसका रंग काला नजर आता है। यह देखने में बस एक गीला धब्बा जैसा दिखाई देता है।
कैसे बनती है काली बर्फ
काली बर्फ आमतौर पर ठंडी और नम परिस्थितियों में बनती है, जब फुटपाथ या सतह का तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट पर या उससे नीचे चला जाता है। इसके कुछ सामान्य कारणों में निम्न भी शामिल हैं:
- पिघलना और फिर से जमना: जमीन पर जमी बर्फ दिन के समय धूप या गाडियों के आने-जाने की वजह से पिघल जाती है और रात होते ही तापमान गिरने पर पानी फिर से जम जाता है।
- बर्फबारी/बूंदाबांदी या कोहरा: हल्की बर्फबारी, बूंदाबांदी या वाहनों के धुएं और ज्यादा ह्यूमिडिटी की वजह से होने वाली नमी सतह पर जम सकती है और बर्फ की एक चिकनी, बिना बुलबुले वाली परत में जम सकती है।
- रेडिएशन कूलिंग: रात के समय अक्सर जमीन और ऊंची सतहें तेजी से ठंडी हो सकती हैं, जिससे सतह की नमी काली बर्फ के रूप में जम सकती है।
कहां पाई जाती है काली बर्फ
- पुल और ओवरपास: ये जगहें विशेष रूप से खतरनाक होती हैं, क्योंकि ठंडी हवा सतह के ऊपर और नीचे दोनों जगह घूमती है, जिससे ये सामान्य सड़कों की तुलना में यहां बर्फ तेजी से जम जाती है और लंबे समय तक जमी रहती हैं।
- छाया वाली जगहों पर: पेड़ों के नीचे या सुरंगों और अंडरपास में सूरज की रोशनी कम पड़ने की वजह से गर्मी कम होती है, जिससे बर्फ जम जाती है या आसानी से जम जाती है।
- कम ट्रैफिक वाली सड़कें: कम ट्रैफिक वाली सड़कों को टायरों के घर्षण कम होता है। साथ ही यहां ज्यादा गाड़ियां न आने की वजह से इंजन की गर्मी भी कम ही रहती है, जिससे यहां परव ऐसी बर्फ लंबे समय तक बनी रह सकती है।
ब्लैक आइस खतरनाक क्यों है?
आम बर्फ की तुलना में ब्लैक आइस को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ऐसे में इसलिए क्योंकि यह बर्फ आमतौर पर ट्रांसपेरेंट होने की वजह से दिखाई नहीं देती है, जिससे लोग अक्सर इसे देख नहीं पाते। इस आसानी से न देख पाने के कारण अक्सर फिसलने, गिरने और गंभीर हादसों का खतरा बना रहता है। इसी वजह से काली बर्फ को आम बर्फ की तुलना में खतरनाक माना जाता है।
काली बर्फ से कैसे बचें
- अचानक ब्रेक न लगाएं: पहाड़ों पर सफर करते समय अचानक ब्रेक लगाने से बचें। एंटी-लॉक ब्रेक के साथ भी तेज ब्रेक लगाने से आप फिसल सकते हैं।
- एक्सीलरेटर धीमा करें: अपनी स्पीड धीरे-धीरे कम करने के लिए धीरे-धीरे एक्सीलरेटर से अपना पैर हटाएं।
- सीधा चलाएं: स्टीयरिंग व्हील को जितना हो सके सीधा रखें और तब तक चलाते रहें जब तक आपको पकड़ वापस न मिल जाए।
- क्रूज कंट्रोल से बचें: सर्दियों में, जहां काली बर्फ हो सकती है, क्रूज कंट्रोल का इस्तेमाल न करने से बचें।

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