क्यों हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है 'World Toilet Day'? मानव स्वास्थ्य और गरिमा से जुड़ा है यह दिन
हर साल 19 नवंबर को 'विश्व शौचालय दिवस' (World Toilet Day) मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और स्वच्छ शौचालय की कमी से जूझ रही दुनिया की बड़ी आबादी के संघर्षों को उजागर करना है। खुले में शौच से गंभीर स्वास्थ्य संकट और पर्यावरण प्रदूषण होता है, जिससे हैजा और डायरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।

क्या है वर्ल्ड टॉयलेट डे का महत्व? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर में 'विश्व शौचालय दिवस' (World Toilet Day 2025) मनाया जाता है। पहली नजर में, यह नाम अटपटा लग सकता है, लेकिन यह दिन वास्तव में एक गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है।
यह दिन मानव गरिमा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और विकास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अभियान है। इसलिए यह दिन बेहद खास है। आइए जानें क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टॉयलेट डे और इसका महत्व (World Toilet Day Significance) क्या है।
क्यों मनाया जाता है यह दिन?
वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया की उस बड़ी आबादी के संघर्षों को उजागर करना है जो आज भी एक सुरक्षित और स्वच्छ शौचालय की बुनियादी सुविधा से दूर हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, आज भी दुनिया में लगभग 3.5 अरब लोगों के पास शौचालय नहीं है, जबकि लगभग 41.9 करोड़ लोग खुले में शौच को मजबूर हैं।
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(Picture Courtesy: Freepik)
खुले में शौच करने के दुष्परिणाम
खुले में शौच की यह प्रथा केवल एक सामाजिक या सांस्कृतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण बनती है। खुले में मल-मूत्र करने से वह मिट्टी, नदियों और ग्राउंड वॉटर को दूषित कर देता है। यह दूषित पानी हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और डायरिया जैसी घातक बीमारियों को जन्म देता है।
हैरान कर देने वाला तथ्य यह है कि दुनिया भर में हर दिन लगभग 1000 बच्चे दूषित पानी और खराब स्वच्छता के कारण होने वाली डायरिया जैसी बीमारियों से मौत के मुंह में चले जाते हैं।
विश्व शौचालय दिवस का महत्व
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा- शौचालय न होना केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समुदाय के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। सुरक्षित शौचालय बीमारियों को फैलने से रोकने की दिशा में पहला और सबसे जरूरी कदम है।
- महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा- शौचालय की सुविधा न होने से महिलाओं और लड़कियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें शाम या सुबह के अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। स्कूलों में अलग शौचालय न होने के कारण किशोरावस्था में पहुंचने पर कई लड़कियां स्कूल छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं।
- पर्यावरण संरक्षण- शौचालय में मल-मूत्र करने से जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।
हम क्या कर सकते हैं?
विश्व शौचालय दिवस सिर्फ जागरूकता तक सीमित नहीं होना चाहिए। हम सभी इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं-
- इस दिन के महत्व के बारे में अपने आस-पास के लोगों, दोस्तों और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाएं।
- स्वच्छता के महत्व को समझें और अपने घर और आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लें।

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