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    क्या आपका बच्चा भी बन गया है स्क्रीन जॉम्बी? तो ये 8 ऑफलाइन एक्टिविटीज लौटा देंगी उनका बचपन

    By Niharika PandeyEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 08:35 PM (IST)

    हर वक्त ऑनलाइन रहने से जहां बच्चों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ प्रभावित होती है। वहीं नियमित रूप से पार्क जाना, दोस्त बनाना, जर्नल लिखना, किताबें पढ़ना, ...और पढ़ें

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    बच्चों की ऑनलाइन आदत से हैं परेशान? (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मौजूदा समय में जेनरेशन जी अपना ज्यादातर वक्त ऑनलाइन कंटेंट देखने में बिता रही है। रील्स हों या फिर यूं ही बेवजह स्क्रॉलिंग, बच्चों के हाथ हमेशा मोबाइल देखने को मिल ही जाता है। इससे उनकी सेहत बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

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    वे स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। उन्हें इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए सबसे जरूरी है उन्हें कुछ ऐसी ऑफलाइन एक्टिविटीज में शामिल करना जो उन्हें वर्चुअल दुनिया से निकालकर रियल वर्ल्ड से जोड़ सके।

    बच्चों पर ये पड़ता है असर

    • खेल-कूद से दूर हो जाते हैं, जिससे फिजिकल और मेंटल ग्रोथ प्रभावित होती है।
    • गहरी दोस्ती नहीं होती जोकि बच्चों को एक मजबूत आधार देने के लिए जरूरी है।
    • अकेलापन महसूस होता है।
    • कम्प्लसिव बिहेवियर का खतरा बढ़ जाता है।

    ये एक्टिविटीज हो सकती हैं फायदेमंद

    • प्रकृति के करीब: भले ही बच्चा आनाकानी करे, पेरेंट्स को उन्हें रोजाना किसी खुली या पार्क जैसी जगह जाने के लिए प्रेरित करना चााहिए। इससे वो नेचर के करीब होंगे \ और उनकी मेंटल हेल्थ पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
    • दोस्तों से मिलें: ऑनलाइन चैट करने की बजाय उनसे आमने-सामने मिलने को कहें। एक मजबूत सोशल कनेक्शन बच्चों की परवरिश में अहम भूमिका निभाता है।
    • पढ़ने की आदत: किताबें बच्चों की दोस्त होती हैं और उन्हें एक अलग ही दुनिया में लेकर जाती है। रिसर्च में यह साबित हुआ है कि फिक्शन पढ़ने से बच्चों में संवेदनशीलता बढ़ती है।
    • जर्नल या डायरी: मोबाइल या लैपटॉप पर टाइप करने की बजाय पेन और पेपर से कुछ लिखने की कोशिश करें। भले ही वो बच्चों की दिनभर की छोटी-मोटी एक्टिविटी या इवेंट ही क्यों ना हो।
    • कुकिंग टाइम: बच्चों को भी कुकिंग का हिस्सा बनाएं। साथ ही उन्हें लोकल वेजिटेबल मार्केट या फार्म पर भी ले जाएं। इससे वो उन कामों को भी अहमियत समझ पाएंगे, जिन्हें वो मामूली कहकर टालने की कोशिश करते हैं।
    • नई स्किल: नया इंस्ट्रूमेंट, कुकिंग या सिलाई-कढ़ाई जैसी नई स्किल सीखने के लिए बच्चों का हौसला बढ़ाएं। कुछ नया सीखने से मानसिक विकास में मदद मिलती है।
    • साथ-साथ खेलें गेम: बोर्ड गेम हो या फिर पजल सॉल्व करना हो, जिसमें इंटरनेट की कोई जरूरत ना हो। इसमें बच्चे के दोस्तों की फैमिली भी शामिल हो सकती है।  
    • कम्युनिटी वर्क: अपने समाज के लिए कुछ करने का भाव बचपन से डालने के लिए उन्हें किसी कम्युनिटी वर्क या अभियान से जोड़ें। यह बच्चों में एक पॉजिटिव बदलाव लेकर आता है।

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