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    बात-बात पर रोक-टोक भी बना देती है बच्चों को जिद्दी, 3 लक्षण दिखने पर पेरेंट्स को हो जाना चाहिए अलर्ट

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 05:49 PM (IST)

    माता-पिता के रूप में हम सभी अपने बच्चों को सही राह दिखाना चाहते हैं उन्हें गलतियों से बचाना चाहते हैं लेकिन कई बार हमारी यही फिक्र- यानि जरूरत से ज्यादा रोक-टोक बच्चों को सुधारने की बजाय उन्हें अनजाने में और ज्यादा जिद्दी बना सकती है। आइए जानें (Parenting Tips For Stubborn Kids)।

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    बच्चों को रोक-टोक नहीं, इन तरीकों से करें हैंडल (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर जिद्द करता है, गुस्सा हो जाता है या आपकी बात बिल्कुल नहीं सुनता? अक्सर माता-पिता को लगता है कि बच्चों को हर गलत चीज से रोकना उनकी जिम्मेदारी है... और यह सच भी है! लेकिन, कई बार जरूरत से ज्यादा रोक-टोक (Over-Parenthood) बच्चों को सुधारने की बजाय उन्हें और ज्यादा जिद्दी बना सकती है।

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    बच्चे जब बड़े हो रहे होते हैं, तो उन्हें फ्रीडम और खुद से फैसले लेने की थोड़ी जगह की जरूरत होती है। अगर आप उन्हें हर कदम पर टोकते हैं, तो वे अपनी बात मनवाने के लिए जिद्द करने लगते हैं। धीरे-धीरे यह जिद्द उनकी आदत बन जाती है और फिर उन्हें समझाना मुश्किल हो जाता है। आइए जानें (How To Deal With Stubborn Kids)।

    कैसे पहचानें कि आपकी रोक-टोक हो रही है ज्यादा?

    अगर आपको अपने बच्चे में ये 3 लक्षण दिखें, तो समझ जाइए कि आपकी परवरिश के तरीके में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है:

    हर बात पर करता है बहस

    जब आप बच्चे को किसी चीज के लिए मना करते हैं और वह तुरंत पलटकर आपसे बहस करने लगता है या आपको जवाब देने लगता है, तो यह एक चेतावनी है। इसका मतलब यह हो सकता है कि उसे लगता है कि आप उसकी बात नहीं समझते या उसकी आजादी छीन रहे हैं। वे अपनी भड़ास निकालने या अपनी बात मनवाने के लिए ऐसा करते हैं।

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    छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ाना

    अगर आपका बच्चा बेवजह चिड़चिड़ाने लगा है, या उसे छोटी-छोटी बातों पर बहुत ज्यादा गुस्सा आता है, तो इसके पीछे लगातार मिल रही रोक-टोक एक वजह हो सकती है। जब बच्चे को लगता है कि उसे अपनी पसंद की कोई चीज करने की आजादी नहीं है, तो उनमें कुंठा बढ़ती है, जो गुस्से के रूप में बाहर आती है।

    झूठ बोलना या बातें छिपाना

    जब बच्चे को लगता है कि अगर उसने कोई बात बता दी तो उसे डांट पड़ेगी या किसी चीज के लिए मना किया जाएगा, तो वह झूठ बोलना या बातें छिपाना शुरू कर देता है। यह इस बात का संकेत है कि बच्चे को आप पर पूरा भरोसा नहीं है कि आप उसकी बात समझेंगे। वे खुद को बचाने के लिए ऐसा करते हैं और यह आदत भविष्य में बड़ी समस्या बन सकती है।

    क्या करें पेरेंट्स?

    अगर आपको अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिख रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले, अपनी रोक-टोक के तरीके पर विचार करें। क्या आप हर बात पर 'ना' कहते हैं? क्या आप उन्हें अपनी पसंद से कुछ करने की आजादी नहीं देते?

    • अपने बच्चे से खुलकर बात करें। उनकी बात सुनें और उन्हें समझने की कोशिश करें।
    • उन्हें कुछ चीजों में खुद से फैसले लेने की आजादी दें, भले ही वे छोटे फैसले हों। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा।
    • कुछ बेसिक रूल्स जरूर बनाएं, लेकिन हर बात पर सख्त न हों। जहां जरूरी हो, वहां लचीलापन दिखाएं।
    • जब बच्चे अच्छा बरताव करें या आपकी बात मानें, तो उन्हें मोटिवेट करें और उनकी तारीफ करें।

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