महाकाल ही नहीं, उज्जैन का चिंतामन गणेश मंदिर भी है बेहद खास; यहां दर्शन करने से दूर होती है हर चिंता
भगवान गणेश के देशभर में कई मंदिर हैं लेकिन इनमें चिंतामण गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Temple) का खास स्थान है। उज्जैन में स्थित यह मंदिर अपनी धार्मिक परंपराओं और इतिहास के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की एक कहानी रामायण काल से भी जुड़ी हुई है। आइए जानें इसकी खासियत और पहुंचने का रास्ता।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। उज्जैन भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। महाकाल की नगरी कहलाने वाले उज्जैन में अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी अद्भुत मान्यताओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं। इन्हीं में एक मंदिर है चिंतामण गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Temple Ujjain)।
वैसे तो देशभर में कई गणेश मंदिर हैं, लेकिन यह मंदिर बेहद खास माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस मंदिर में गणपति के तीन रूप एक साथ विराजते हैं। आइए जानें इस मंदिर से जुड़ी खास मान्यताएं और यहां पहुंचने का रास्ता।
(Picture Courtesy: chintamanganesh.com)
मंदिर की खासियत और धार्मिक महत्व
- स्वयंभू मूर्ति और तीन रूप- इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित भगवान गणेश की स्वयं प्रकट हुई मूर्ति है। मान्यता है कि यहां भगवान गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान हैं-
चिंतामण- जो भक्तों की सभी चिंताओं और परेशानियों को हर लेते हैं।
इच्छामण- जो भक्तों की सच्चे मन से की गई इच्छाओं को पूरा करते हैं।
सिद्धिविनायक- जो साधकों को उनकी साधना में सिद्धि देते हैं।
- पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व- मान्यता के अनुसार, भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास काल के दौरान यहां आए थे। यहां माता सीता को प्यास लगी, लेकिन आसपास पानी नहीं था। तब लक्ष्मण जी ने अपने बाण से भूमि पर प्रहार किया, जिससे वहां एक जलधारा फूट निकली। इसी स्थान पर बाद में एक बावड़ी का निर्माण हुआ, जो आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है और इसे पवित्र माना जाता है।
- खास परंपरा- उल्टा स्वास्तिक- इस मंदिर की एक अनोखी और प्रसिद्ध परंपरा है। भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और भगवान गणेश के सामने उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे वापस आकर सीधा स्वास्तिक बनाकर भगवान का आभार व्यक्त करते हैं।
- स्थापत्य कला- मंदिर का वर्तमान स्वरूप 18वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया था। मंदिर की वास्तुकला अनोखी है और इसके स्तंभों पर बारीक नक्काशी की गई है, जो परमार शैली की झलक दिखाती है।
महोत्सव- यह मंदिर गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन और अन्य प्रमुख हिंदू त्योहारों पर विशेष पूजा-अर्चना और भव्य आयोजनों के लिए जाना जाता है। इन दिनों यहां भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है।
उज्जैन में चिंतामण गणेश मंदिर कैसे पहुंचें?
चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन शहर से कुछ दूरी पर स्थित है, लेकिन यहां पहुंचना बहुत आसान है।
- सड़क मार्ग- उज्जैन मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। शहर के किसी भी कोने से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी लेकर आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग- उज्जैन जंक्शन रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी मुख्य शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है। स्टेशन के बाहर से ऑटो या कैब लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
- हवाई मार्ग- उज्जैन का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा है, जो यहां से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से उज्जैन के लिए टैक्सी या बस सर्विस आसानी से मिल सकती है।
- ठहरने की व्यवस्था- उज्जैन में यात्रियों के ठहरने के लिए हर बजट के होटल, धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस हैं। शहर के बीच में और मंदिरों के आस-पास रुकने के लिए कई अच्छे विकल्प मिल जाएंगे।
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