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    भारत का इकलौता मंदिर, जहां विराजे हैं बिना सूंड वाले गणेश जी! भक्त चिट्ठी लिखकर मांगते हैं मन्नत

    अक्सर हम भगवान गणेश की प्रतिमा को सूंड के साथ देखते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है जहां बिना सूंड वाले गणेश जी विराजमान हैं? जी हां यह चमत्कारी मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर के अरावली पर्वत शृंखला पर स्थित है जिसका नाम है गढ़ गणेश मंदिर (Garh Ganesh Temple in Jaipur)।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 23 Aug 2025 11:17 AM (IST)
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    बेहद खास है जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर (Image Source: garhganesh.com)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में गणेश चतुर्थी का पर्व (Ganesh Chaturthi 2025) बेहद उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है। दस दिनों तक घर-घर और पंडालों में बप्पा की प्रतिमा स्थापित होती है, भक्ति गीत गाए जाते हैं और अंत में विसर्जन के साथ विदाई दी जाती है।

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    भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माना जाता है, इसलिए हर शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा करना हमारी परंपरा का हिस्सा है। देशभर में उनके सैंकड़ों मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर अपनी विशेषता और अनोखी परंपराओं के कारण खास पहचान रखते हैं। इनमें से एक है गढ़ गणेश मंदिर (Garh Ganesh Temple), जो राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है।

    भगवान गणेश के बाल स्वरूप की पूजा

    गढ़ गणेश मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भगवान गणेश की मूर्ति को बाल रूप (बिना सूंड वाले गणेश) में स्थापित किया गया है। भक्त मानते हैं कि यहां गणपति बप्पा 'पुरुषकृति' स्वरूप में विराजमान हैं। यह अद्वितीय स्वरूप भक्तों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का विशेष कारण है।

    300 साल पुराना है मंदिर का इतिहास

    गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। कहा जाता है कि जब उन्होंने जयपुर बसाने से पहले अश्वमेध यज्ञ किया, तभी इस मंदिर की नींव रखी। उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति इस प्रकार स्थापित की कि सिटी पैलेस के चंद्र महल से दूरबीन की मदद से भी इसे देखा जा सके। इस अनोखी योजना से महाराजा की भक्ति और स्थापत्य दृष्टि का अंदाजा लगाया जा सकता है। बता दें, गढ़ गणेश मंदिर से ही जुड़ा हुआ है बाड़ी चौपड़ स्थित ध्वजाधीश गणेश मंदिर, जिसे इसका ही हिस्सा माना जाता है।

    मूषकों के कान में परेशानी बोलते हैं भक्त

    गढ़ गणेश मंदिर केवल अपनी प्राचीनता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी विशिष्ट पूजा-पद्धति के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां भगवान गणेश की प्रतिमा अनोखी मानी जाती है। मंदिर परिसर में दो विशाल मूषक (चूहे) स्थापित हैं। श्रद्धालु इन मूषकों के कानों में अपनी समस्याएं और इच्छाएं बताते हैं। मान्यता है कि ये मूषक भक्तों की बात सीधे बप्पा तक पहुंचाते हैं और भगवान गणेश उनके कष्ट हर लेते हैं।

    चिट्ठी लिखकर पूरी होती है मन्नत

    गढ़ गणेश मंदिर की सबसे दिलचस्प बात यह है कि भक्त अपनी मन्नतें चिट्ठी या निमंत्रण पत्र लिखकर भेजते हैं। जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं! लोग अपनी शादी, घर में बच्चे के जन्म, नई नौकरी या किसी भी शुभ कार्य का निमंत्रण सबसे पहले गणेश जी को भेजते हैं। इस मंदिर के पते पर रोजाना सैकड़ों चिट्ठियां आती हैं, जिन्हें पढ़कर भगवान के चरणों में रखा जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्तों का मानना है कि गणेश जी उनकी हर पुकार सुनते हैं।

    365 सीढ़ियां चढ़कर होते हैं बप्पा के दर्शन

    मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो साल के 365 दिनों का प्रतीक हैं। यह चढ़ाई थोड़ी थकाऊ हो सकती है, लेकिन मंदिर तक पहुंचते ही जो शांति और सुकून मिलता है, वह हर थकान को दूर कर देता है। यहां से पूरे जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, खासकर सूरज ढलने के समय।

    अगर आप कभी जयपुर जाएं, तो गढ़ गणेश मंदिर के दर्शन जरूर करें। यहां का शांत वातावरण और भक्तों का अटूट विश्वास आपको एक अलग ही अनुभव देगा।

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    Source: https://garhganesh.com/