ईमानदारी की मिसाल पेश करता है भारत का यह गांव, दुकानों पर नहीं रहता ताला; चोरी का भी कोई डर नहीं
क्या आप किसी ऐसी जगह के बारे में सोच सकते हैं जहां दुकानों में ताला न लगता हो? जी हां ऐसी जगह जहां लोग बेफिक्र होकर अपना सामान बेचते हों और चोरी का को ...और पढ़ें

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जहां आज के दौर में भी विश्वास और आपसी सहयोग का शानदार नजारा देखने को मिलता हो? जी हां, जहां लोग एक-दूसरे पर इतना भरोसा करते हों कि दुकानों को ताला लगाना भी पाप माना जाता हो?
पढ़ने में यह भले ही यह आपको किसी कहानी जैसा लगे, लेकिन भारत में एक ऐसी जगह सचमुच मौजूद है। हम बात कर रहे हैं नागालैंड के खूबसूरत Khonoma Village की, जो सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि अपनी बेमिसाल ईमानदारी के लिए भी जाना जाता है। आइए जानते हैं, कैसे यह छोटा-सा गांव आज के इस भागदौड़ भरे जमाने में सालों से ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहा है।
भरोसे पर चलती हैं दुकानें
खोनोमा गांव की गलियों में चलते हुए आपको सब्जियों की छोटी दुकानें या किताबें शॉप्स देखेंगे, लेकिन आपको वहां कोई दुकानदार नहीं नजर आएगा। ऐसे में, ग्राहक अपनी जरूरत का सामान खुद उठाता है और उसके बदले निर्धारित रकम पास रखे डिब्बे में डाल देता है। यह देखकर ऐसा लगता है मानो हम किसी और ही दुनिया में आ गए हों। यह व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है और आज भी पूरी ईमानदारी के साथ निभाई जा रही है।
घरों में भी नहीं लगते ताले
खोनोमा के लोग इतने सादगीपूर्ण और भरोसेमंद हैं कि वे अपने घरों पर भी ताला नहीं लगाते। उन्हें विश्वास है कि उनका सामान सुरक्षित है और कोई चोरी नहीं करेगा। इस तरह का माहौल आपको शायद ही किसी और जगह देखने को मिले।
‘केन्यो’ परंपरा की सीख
यह ईमानदारी और अनुशासन यहां की अंगामी जनजाति से जुड़ी परंपरा ‘केन्यो’ से आता है। इसमें 154 तरह के नियम और वर्जनाएं शामिल हैं जो लोगों को प्रकृति से प्रेम करना, दूसरों की इज्जत करना और गलत कामों से दूर रहना सिखाते हैं। यही कारण है कि गांव में अनुशासन और नैतिकता की गहरी जड़ें हैं।
एशिया का पहला ग्रीन विलेज
यह ईमानदारी सिर्फ एक संयोग नहीं है। इसके पीछे गांव की गहरी संस्कृति और परवरिश है। यहां के लोग बचपन से ही आपसी सम्मान और विश्वास का पाठ सीखते हैं। यहां चोरी को एक बड़ा पाप माना जाता है, जिससे पूरा गांव शर्मिंदा होता है। इसके अलावा, यह गांव एशिया का पहला ग्रीन विलेज भी घोषित हो चुका है, जहां शिकार और जंगलों की कटाई पूरी तरह से बैन है। यहां के लोग मानते हैं कि प्रकृति और इंसान के बीच का रिश्ता भी विश्वास पर टिका है, ठीक वैसे ही जैसे इंसान-इंसान के बीच।
कारीगरी और शिल्प का खजाना
यह गांव अपनी बांस और बेंत की कलाकारी के लिए भी मशहूर है। यहां के कारीगर अपनी निपुणता से ऐसी चीजें बनाते हैं जो न केवल खूबसूरत होती हैं बल्कि टिकाऊ भी होती हैं। यह हुनर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है।
खोनोमा गांव हमें सिखाता है कि विश्वास और ईमानदारी से भरी एक दुनिया आज भी संभव है। यह गांव सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक सबक है, जो हमें याद दिलाता है कि इंसानियत और आपसी भरोसा आज भी सबसे बड़ी दौलत हैं।
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Source:
- tourism.nagaland.gov.in: https://tourism.nagaland.gov.in/khonoma-village/

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