लाल-हरा और पीला, क्यों Traffic Signal में चुने गए यही तीन रंग? पढ़ लें इसकी दिलचस्प कहानी
Traffic Light Color Logic ट्रैफिक सिग्नल में लाल हरा और पीला रंग क्यों इस्तेमाल होते हैं इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। सबसे पहला ट्रैफिक सिग्नल 1868 में लंदन में लगाया गया था जिसमें लाल और हरी बत्ती का इस्तेमाल होता था। क्या आपको इसका पूरा इतिहास मालूम है। अगर नहीं तो आइए जानते हैं विस्तार से-

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Traffic Signal Color Meaning: अगर आप गाड़ी चलाते हैं तो आपको ट्रैफिक से जुड़े नियमों के बारे में भी जरूर पता हाेना चाहिए। इन नियमों का पालन करना भी उतना ही जरूरी है। इसका उल्लंघन करने वालाें पर चालान कट जाता है। कभी कभार तो आपको हैवी अमाउंट भी जुर्माने के तौर देना पड़ सकता है। ट्रैफिक नियम कई तरह के होते हैं। इनमें ट्रैफिक सिग्नल लाइट्स को फॉलो करना बहुत जरूरी होता है।
आपने आते-जाते समय ट्रैफिक सिग्नल पर ध्यान तो दिया ही होगा। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे ट्रैफिक सिग्नल के बारे में न मालूम हो। अक्सर आपका लाल, हरी या पीली लाइट से सामना भी होता होगा। किस लाइट के जलने पर क्या करना होता है, यह भी आपकाे मालूम ही होगा। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रैफिक सिग्नल की बत्ती के लिए इन्हीं तीन रंगों (history of traffic lights) को क्यों चुना गया। ये आइडिया किसका था? अगर नहीं, तो ये लेख आपको जरूर पढ़ना चाहिए। आइए इसके पीछे की दिलचस्प वजह जानते हैं विस्तार से -
क्या है ट्रैफिक सिग्नल का इतिहास?
10 दिसंबर 1868 में सबसे पहला ट्रैफिक सिग्नल लंदन में लगाया गया था, जो कि पार्लियामेंट स्क्वायर पर लगा था। उस समय का ट्रैफिक सिग्नल वर्तमान समय जैसा नहीं था। दरअसल, उन दिनों इसे रेलवे सिग्नल सिस्टम की तरफ मैन्युअल ऑपरेट करना पड़ता था। इसकी जिम्मेदारी एक पुलिस कर्मी को दी जाती थी। हालांकि पहले सिर्फ लाल और हरी बत्ती का ही इस्तेमाल होता था।
गैस से चलता था Traffic Signal
बताया जाता है कि एक खंभे पर दोनों लाइटें लगीं हाेतीं थीं जो कि गैस से चलती थीं। उन दिनों लंदन में घोड़े, इक्के चला करते थे। ऐसे में पैदल चलने वालों को रास्ता नहीं मिल पाता था। वहीं कई लोग घोड़े इक्के के चलते घायल भी हाे जाते थे। इसी कारण ट्रैफिक सिग्नल ऑपरेट किया जाने लगा। हालांकि गैस भरने के कारण एक बार तेज धमाका हुआ था जिससे पुलि घायल हो गया था। बस तभी से ट्रैफिक सिग्नल को बंद कर दिया गया।
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1921 में 3 बत्ती वाला बना सिग्नल
ये करीब 50 सालों तक बंद रहा। 1929 में दोबारा से ब्रिटेन में इसकी शुरुआत हुई। वहीं 1921 में अमेरिका में William Pott ने तीन बत्ती वाला ट्रैफिक सिग्नल बनाया। जो आज तक ट्रैफिक रूल में बना हुआ है। William Pott एक पुलिस कर्मी थे। इसके बाद इसे बिजली से चलाया जाने लगा। आज पूरी दुनिया में भीड़ को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक सिग्नल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यही तीन रंग क्यों चुने गए? red yellow green traffic light logic
रेड लाइट
लाल रंग को खतरे का संकेत माना जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल गाड़ियों को रोकने के लिए किया जाता है। इसकी दूसरी वजह ये भी है कि लाल रंग दूर से ही चमकता है। जिसे हमारी आंखें आसानी से देख सकती हैं। इसलिए इसे रुकने का सिग्नल करने वाली लाइट के रंग के और पर चुना गया।
हरा रंग
हरा रंग नेचर और शांति का प्रतीक होता है। अब आप सोचेंगे कि ट्रैफिक लाइट्स में इसका क्या इस्तेमाल? ताे हम आपको बता दें कि ये रंग खतरे के बिल्कुल उल्टा होता है। इसका मतलब ये साफ है कि आप बिना किसी खतरे के आगे बढ़ सकते हैं। जब ट्रैफिक सिग्नल में हरा रंग जलता है तो आपको आगे बढ़ना होता है।
पीला रंग
ट्रैफिक लाइट में पीले रंग का इस्तेमाल गाड़ियों को धीमा होने के लिए किया जाता है। ये रंग ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक माना जाता है। पीला रंग तैयार होने का संकेत देता है। इस कारण जब लाल बत्ती जलती है तो उससे कुछ सेकंड पहले पीले रंग की लाइट को जला दिया जाता है।
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