Indore Crime: छह माह में साइबर अपराध की 766 शिकायतें, 73 पर ही FIR दर्ज; एक्सपर्ट बोले 'तकनीकी ज्ञान की कमी'
Indore Crime अगर हम प्रदेश की बात करें तो तीन सालों में 1643 लोग आनलाइन ठगी के शिकार हुए हैं। ये वे मामले हैं जिनमें प्रभावितों ने पुलिस में अपनी ओर से शिकायतें की हैं। हाल ही में विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने इन शिकायतों के संबंध में बताया था कि तीन वर्षों में ज्यादातर शिकायतें भोपाल इंदौर जबलपुर और ग्वालियर से मिली हैं।

भोपाल। बृजेंद्र ऋषीश्वर। ऑनलाइन ठगी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन ठगों के जाल में फंसकर लोग कर्जदार भी हो रहे हैं। हालात ये हैं कि लोग आत्महत्या तक को मजबूर हो गए हैं। अभी हाल ही में भोपाल के रातीबड़ में हुई सामूहिक आत्महत्या इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
इन ठगी के मामलों में पुलिस की कार्रवाई बस दिखावे तक ही सीमित है। दरअसल, ज्यादातर मामलों में एफआइआर तक दर्ज नहीं की जाती है। सिर्फ आवेदन लेकर ही काम चला लिया जाता है। अगर हम राजधानी की बात करें तो छह माह में 766 से शिकायतें साइबर अपराध से संबंधित हुई हैं। उसमें से 73 शिकायतों पर ही एफआइआर दर्ज की गई है।
अब तक 150 आरोपी गिरफ्तार
इसमें करीब 150 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। बाकी मामलों में जांच जारी है। अगर हम प्रदेश की बात करें तो तीन सालों में 1,643 लोग आनलाइन ठगी के शिकार हुए हैं। ये वे मामले हैं जिनमें प्रभावितों ने पुलिस में अपनी ओर से शिकायतें की हैं। हाल ही में विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने इन शिकायतों के संबंध में बताया था कि तीन वर्षों में ज्यादातर शिकायतें भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर से मिली हैं।
इन सभी जिलों में राज्य सायबर सेल के एसपी तैनात है और अपने स्तर पर आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई करते हैं। एफआइआर में कमी के मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि तकनीकी रूप से प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है। दूसरा, मामले की जांच में कई स्थानों से जरूरत के दस्तावेज मंगवाने पड़ते हैं और उसमें समय लग जाता है।
भोपाल साइबर क्राइम के पास पहुंची 766 शिकायतें
साइबर एक्सपर्ट भी इसको मानते हैं। तकनीकी ज्ञान की कमी होने से मामलों में जांच जल्द शुरू होने में दिक्कत आती है। जनवरी से लेकर 30 जून तक भोपाल साइबर क्राइम के पास करीब 766 शिकायतें पहुंची है। - इसमें 73 शिकायतों पर साइबर क्राइम ने एफआइआर दर्ज की है। एक लाख के नीचे के धोखाधड़ी मामले पुलिस ने जिले के थानों को भेज दिए हैं। बाकी एक लाख रुपये के ऊपर की धोखाधड़ी की जांच मामले खुद अपने पास पुलिस रखती है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि 766 में से 156 लोगों की राशि को बैंक में होल्ड कराने में हम कामयाब हो पाए। 73 एफआइआर दर्ज होने के मामले में करीब 150 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार आरोपित राजस्थान, हरियाणा, बिहार और झारखंड और असम के थे।
पुलिस कर्मचारियों की कमी के चलते FIR में कमी
क्रेडिट कार्ड की लिमिट के नाम पर ठगी के ज्यादा मामले पुलिस के पास पहुंचीं शिकायतों में सबसे अधिक मामले क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के हैं। इसमें पीड़ित ने खुद ही अपना ओटीपी आरोपित को बताया। बाद में ठगी का अहसास होने पर रुपये बैंक खाते से कटने के बाद एफआइआर दर्ज कराई। इसके बाद लोन के मामले भी सामने आए हैं। इसमें से 200 शिकायतें उनकी हैं जो निजी काम करते हैं। इसके अलावा 57 शिकायतें छात्रों की और इतनी ही शासकीय कर्मचारियों की हैं। पुलिस कर्मचारियों की कमी है, इसलिए एफआइआर में कमी अधिकारियों का कहना है साइबर पुलिस के पास अभी स्टाफ की कमी है। इसलिए कई जानकारी अन्य स्थानों से मंगाने में देरी होती है और एफआइआर दर्ज होने में समय लग जाता है।
तकनीकि ज्ञान की कमी के चलते बढ़ रहे मामले
इसके अलावा कुछ अपराधों में थानों में एफआइआर को स्थानांतरित कर दिया जाता है। तकनीकी ज्ञान की कमी साइबर अपराधों को लेकर साइबर पुलिस के तकनीकी ज्ञान में दक्ष लोगों की कमी है। साइबर अपराध के मामले में कई बार अन्य एजेंसियों और विभागों की मदद लेनी पड़ती है। अपराध की कई बार छोटी -छोटी जानकारियां निकालनी पड़ती हैं। तकनीकी प्रशिक्षण की कमी भी नजर आती है। इसके कारण कई बार आरोपित बच निकलते हैं।
वहीं साइबर क्राइम के विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण भी व्यक्ति जालसाजों का शिकार हो जाता है। इसके कारण कई मामलों में एफआइआर दर्ज नहीं हो पाती है। वहीं, पुलिस उपायुक्त साइबर क्राइम के श्रुतकीर्ति सोमवंशी कहते हैं कि पुलिस बल की कमी भी एक कारण है। फिर भी हमारी कोशिश रहती है कि अधिकांश मामलों में एफआइआर दर्ज की जाए।

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