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    MP की फोरेंसिक लैब में होगी आडियो-वीडियो से छेड़छाड़ की जांच, दस दिन में मिलेगी रिपोर्ट, तैयार हो रहा विशेष सॉफ्टवेयर

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 06:46 PM (IST)

    भोपाल स्थित स्टेट फोरेंसिक लैब में अब ऑडियो-वीडियो की प्रामाणिकता की जांच 10 दिन में हो सकेगी। इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये से सॉफ्टवेयर तैयार हो रहा है। वर्तमान में, सैंपल्स केंद्रीय फोरेंसिक लैब भेजे जाते हैं, जिससे रिपोर्ट में देरी होती है। राज्य में यह सुविधा शुरू होने से अभियोजन पक्ष को मदद मिलेगी और जांच रिपोर्ट जल्दी मिल सकेगी। दिसंबर अंत तक सुविधा शुरू होने की उम्मीद है।

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    डिजिटल डेस्क, भोपाल। आपराधिक मामलों की जांच में आडियो-वीडियो की मौलिकता जानने के लिए अब दो से तीन माह की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। भोपाल स्थित पुलिस की स्टेट फोरेंसिक लैब में 10 दिन के भीतर ही जांच हो जाएगी। इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये से साफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। अभी यह सुविधा यहां नहीं होने से सैंपल जांच के लिए अलग-अलग सेंट्रल फोरेंसिक लैब में भेजे जाते हैं, जहां से रिपोर्ट आने में कम से कम दो से तीन माह लगते हैं।

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    अभी सिर्फ ऑडियो जांच की सुविधा

    अभी राज्य फोरेंसिक लैब में सिर्फ आडियो मैचिंग की जांच हो पाती है पर यदि आडियो-वीडियो में कोई छेड़छाड़ हुई है तो सैंपल बाहर भेजना पड़ता है। लैब के अधिकारियों ने बताया प्रतिमाह 50 से 60 सैंपल जांच के लिए प्रदेश से बाहर अन्य लैब में भेजे जाते हैं।

    अभियोजन पक्ष को होती है परेशानी 

    दरअसल, अपराधों में बातचीत की आडियो रिकार्डिंग या वीडियों में छेड़छाड़ की आशंका रहती है। ऐसे मामले सामने भी आ चुके हैं। कई बार आरोपित अपने बचाव में कहता है कि आडियो-वीडियो से छेड़छाड़ की गई है। कोर्ट में अभियोजन प्रस्तुत करने के पहले पुलिस को यह सुनिश्चित करना होता है कि आडियो-वीडियो से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके लिए फोरेंसिक जांच से यह साबित करना होता है कि आडियो-वीडियो मौलिक है।

    अगले माह शुरू हो सकती है सुविधा

    राज्य में इसकी सुविधा नहीं होने से सैंपल बाहर भेजने पड़ते हैं। सेंट्रल फोरेंसिक लैब्स में देशभर से सैंपल आते हैं, इस कारण ज्यादा दबाव के चलते लगभग तीन माह लग जाते हैं। कई बार जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण अभियोजन या कोर्ट से निर्णय में देरी होती है। अब प्रदेश में यह सुविधा होने से जल्दी रिपोर्ट मिल सकेगी। दिसंबर अंत तक यह सुविधा प्रारंभ होने की आशा है। डायरेक्टर फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री शशिकांत शुक्ला ने बताया कि यह साफ्टवेयर आने के बाद प्राथमिकता के अनुसार जांच की जाएगी।