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    'द बेस्ट रिलीजिएस एण्ड स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन' बना उज्जैन, सीएम मोहन यादव ने ग्लोबल स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव का किया शुभारंभ

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 07:02 PM (IST)

    मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन भारत की आत्मा है जो धार्मिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद उज्जैन की पहचान वैश्विक हुई है और यहां श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। उज्जैन काल गणना की नगरी है भगवान कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की। भारत में आत्मचिंतन के लिए सबसे अच्छा स्थान है और भारतीय संस्कृति की कोई सीमा नहीं है।

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    उज्जैन धार्मिक आस्था और परंपराओं का संवाहक

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उज्जैन देश की आत्मा है। देश की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमुख केंद्र है और इस ऊर्जा का मूल आधार स्वयं बाबा महाकाल हैं। उन्होंने कहा कि बाबा महाकाल सम्पूर्ण चराचर जगत को गतिमान रखने वाली नैसर्गिक ऊर्जा के केंद्र हैं। उनके आशीर्वाद से ही यह शहर आज देश की धार्मिक आस्था और परम्पराओं के संवाहक के रूप में प्रसिद्धि पाकर 'द बेस्ट रिलीजिएस एण्ड स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन' बन चुका है।

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    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन का यह गौरवशाली स्वरूप ऐसे ही नहीं बना। इसके पीछे एक लंबी कहानी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद से उज्जैन शहर की पहचान, आकर्षण और आस्था विश्वव्यापी हो गए हैं। अब यहां देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक बड़ी संख्या में आ रहे हैं।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को उज्जैन के होटल अंजु में दूसरे ग्लोबल स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव 'रूहMantic' के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्ज्वलन कर इस कॉन्क्लेव का विधिवत् शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केंद्रीय मंत्री शेखावत ने उज्जैन में कॉन्क्लेव के दौरान फेथ एंड फ्लो पुस्तक का विमोचन किया।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन काल गणना की नगरी है। आज भारत का समय है और पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। पहले दुनिया के जो देश भारत से प्रतियोगिता कर रहे थे, आज वे सभी खुद को भारत के अनुगामी हैं। उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण ने अनेक कलाएं और विद्या ग्रहण कीं।

    आत्म चिंतन के लिए भारत से अच्छा दुनिया में कोई स्थान नहीं है। आज देश की सीमाएं हो सकती हैं, लेकिन धर्म और संस्कृति की कोई सीमा नहीं हैं। भारतीय संस्कृति ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक फैली हुई है। उज्जैन में एक हजार बीघा जमीन पर बाबा महाकाल का मंदिर बना हुआ है। हम विभिन्न स्वरूपों में ईश्वर की आराधना करते हैं। आनंदपुर धाम में निरंकारी भाव से गुरु महाराज की भक्ति की जा रही है।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ईश्वर ने हमें प्रकृति के साथ मिलकर चलने की सीख दी है। भगवान की भक्ति के साथ शरीर की क्षमताओं का उपयोग करें। पर्यटन के साथ तीर्थाटन के माध्यम से जनकल्याण की कल्पना इस आयोजन के माध्यम से की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में आध्यात्मिक पर्यटन को गति प्रदान करने की दृष्टि दी है।

    देवी अहिल्या बाई ने काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर बनाया। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने 2000 साल पहले मंदिर बनवाया था, जो बाबर के काल में गिरा दिया गया था। देश का पुराना संसद भवन मुरैना के मंदिर और नया भवन विदिशा के बीजापुर मंदिर के डिजाइन पर बना है, ये हमारे लिए गर्व की बात है। हमारे देवालय भी लोकतंत्र का आधार हो सकते हैं।

    उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इस कॉन्क्लेव में तिरुपति बालाजी ट्रस्ट, शिरडी साईंबाबा ट्रस्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट से भी प्रतिनिधि पधारे हैं। इनसे हमें मध्यप्रदेश को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में और आगे ले जाने के लिए इन सभी के सुझाव और अनुभव भी प्राप्त होंगे।

    वैश्विक स्तर पर आध्यात्मिक पर्यटन को नई दिशा

    केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उज्जैन की आध्यात्मिक धरोहर न केवल भारत की सांस्कृतिक धारा को समृद्ध कर रही है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आध्यात्मिक पर्यटन को नई दिशा दे रही है। उन्होंने कहा कि पर्यटन नीति में हमने देश की सांस्कृतिक ताकत बढ़ाने वाले धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन केन्द्रों के विकास के लिए बड़े प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन भारत की संस्कृति और पर्यटन को विश्व पटल पर नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

    उन्होंने कहा कि विश्व में अनेक संस्कृतियों का जन्म हुआ, लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी जीवंत है। हमारी संस्कृति ने 2000 साल तक आक्रमण झेला, 200 साल की गुलामी तक झेली, लेकिन आज भी भारतीय संस्कृति समृद्ध है। आज से ढाई हजार साल पहले दुनिया में जब मानव अपना वजूद खोज रहा था, तब भारत में तीर्थाटन की परंपरा थी। उन्होंने बताया कि तीर्थाटन हमारे संस्कारों में हैं। उनकी दादी बैलगाड़ी से तीर्थाटन करने जाया करती थीं।

    केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने केरल से पर्सिया तक 24 हजार किलोमीटर की यात्रा कर भारतीय संस्कृति से दुनिया का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि देश में ब्रिटिश काल में लेखकों ने भारतीय विविधता की अपने तरीके से व्याख्या की, परन्तु आज भी भारत एक और अखंड भारत है।

    इसका उदाहरण प्रयागराज महाकुंभ है, जहां हर मत, पंथ, संप्रदाय के लोग एक मंच पर आए और विश्व शांति का संदेश दिया। सैकड़ों साल पहले जब इंफ्रास्ट्रक्चर इतना डेवलप नहीं था, तब भी लोग केदारनाथ और बद्रीनाथ तीर्थाटन के लिए जाते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है। उज्जैन में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। पहले जितने लोग साल भर में आते थे, उतने अब एक से डेढ़ हफ्ते में आ जाते हैं।

    राज्यों के बीच चल रही है प्रतियोगिता

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज पर्यटन संभावनाएं विकसित करने के लिए राज्यों के बीच प्रतियोगिता चल रही है। मध्यप्रदेश हार्ट ऑफ इंक्रेडिबल इंडिया है। मध्यप्रदेश के पास टूरिज्म सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं। मध्यप्रदेश ने अपने टूरिज्म सेक्टर को प्रापरली एक्सपलोर कर इस मामले में राजस्थान को भी पीछे छोड़ दिया है। शेखावत ने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे प्रचीन परंपरा और विरासत है। देश में घरेलू पर्यटन बढ़ रहा है।

    प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आज देश सांस्कृतिक पुर्नजागरण से गुजर रहा है। भारतवासियों का देश के प्रति नजरिया बदल गया है। नई पीढ़ियों के बच्चे अब दूसरे देशों में जाने की इच्छा नहीं रखते हैं। हमारे देशवासियों ने अपनी परंपरा और संस्कृति पर गर्व करना शुरू कर दिया है। भारत बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को महाकाल की सबसे ज्यादा सेवा का अवसर मिला है।

    उज्जैन अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तेजी से बढ़ रहा आगे

    उज्जैन स्थित इस्कॉन मंदिर के आध्यात्मिक गुरु और प्रेरणादायक वक्ता धीर गौर दास प्रभु ने कहा कि तीर्थस्थलों में नई जरूरतों के मुताबिक विकास कार्य कराने से ही पर्यटकों की संख्या बढ़ती है। उज्जैन इसका जीवंत उदाहरण है। दुनिया में कई शहर विशेष उद्देश्य से विकसित किए गए हैं। जैसे अमेरिका में लास वेगास, भारत में मुंबई, सूरत और उज्जैन। उज्जैन अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

    दुनिया में शीर्ष 10 शहर हैं, जो धार्मिक पर्यटन के लिए विशेष पहचान रखते हैं। इनमें भारत के 4 शहर - प्रयागराज (20 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष), अयोध्या (3 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष), तिरुपति बालाजी (3 से 4 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष) और वाराणसी शामिल हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द हमारा उज्जैन भी इस सूची में शामिल हो जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव दूरगामी सोच की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कृष्ण पाथेय विकसित करने का संकल्प लिया है। भारत की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत सिर्फ स्पिरिचुअल टूरिज्म से ही आता है। इसे और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।

    पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज की नेशनल टूरिज्म कमिटी के चेयरमेन अनिल पाराशर ने कहा कि पिछले एक साल में भारत में 140 विदेशी नागरिक आए हैं। इसी साल हुए प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ लोग पहुंचे। अयोध्या में राम मंदिर में करीब 13.5 लोगों ने दर्शन किए। काशी विश्वनाथ में भी भक्तों की संख्या बढ़ी है। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारियां चल रही हैं। यहां नए ब्रिज, रोड और घाट तैयार किए जा रहे हैं। भविष्य में उज्जैन धार्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनेगा।

    पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल डॉ. रंजीत मेहता ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में उज्जैन में यह स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव आयोजित करना बड़ी घटना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन तेजी से आगे बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में उज्जैन की एक अलग पहचान है। हमारी संस्था राज्य सरकार के साथ पर्यटन की सभी संभावनाओं पर कार्य करने के लिए तैयार है।

    पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि भारत देश प्राचीन समय में स्पिरिचुअल टूरिज्म से ही पहचाना जाता था। हमें इसे दोबारा जागृत करना है। प्रदेश में उज्जैन और ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग विद्मान हैं। सिंहस्थ के आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने के लिए कार्य करेंगे।

    मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रही है पर्यटकों की संख्या

    प्रमुख सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि कोविड काल के बाद मध्यप्रदेश में वर्ष 2023 में 11 करोड़, वर्ष 2024 में 13 करोड़ पर्यटक पहुंचे। प्रदेश में पर्यटन 20 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से विकास कर रहा है। प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थलों में उज्जैन सबसे ऊपर है, जहां पिछले साल 7 करोड़ लोगों ने दर्शन किए। महाकाल लोक के निर्माण से पर्यटन को नई ऊंचाई मिली है।

    दूसरे स्थान पर मैहर और तीसरे स्थान पर अमरकंटक रहा है। सभी धार्मिक पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के लिए हर संभव सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 109 फीट की मूर्ति स्थापित की गई है। यहां विकास कार्यों को गति देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 2200 करोड़ के मेगा प्रोजेक्ट को स्वीकृति प्रदान की है। यहां वेदांत और अद्वैत के दर्शन से पर्यटकों का परिचय कराया जाएगा।

    उज्जैन के पास इंदौर जिले में जानापाव पर्यटन स्थल को भी विकसित किया जा रहा है। जबलपुर में रानी दुर्गावती से जुड़े स्थल और उन्य महापुरुषों को विरासत को संरक्षित किया जा रहा है। अमरकंटक में नर्मदा मैया के तटों को विकसित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश से अयोध्या, वाराणसी, पुरी सहित अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों तक स्पेशल रेलगाड़ियां चलाई जा रही हैं।

    कॉन्क्लेव में जनप्रतिनिधि, राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधि और आध्यात्मिक पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ उपस्थित थे। सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाओं, निवेश अवसरों, अवसंरचना विकास और वैश्विक सहभागिता पर विस्तृत रूप से विचार-विमर्श किया गया।

    संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ हुई राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आध्यात्मिक और वेलनेस क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस की। उज्जैन में रूहmatic स्पिरिचुअल कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी प्रतिनिधियों से प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन के प्रभाव और उपलब्धियों से अवगत कराया। प्रदेश की पर्यटन क्षेत्र में निवेश नीति के प्रमुख प्रावधानों और लाभ की विशेष चर्चा की। साथ ही सभी से साथ मिलकर प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ाने और गतिविधियों को संचालित करने का आग्रह भी किया।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है, जिसे आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। वेलनेस गतिविधियों के संचालन के लिए सरकार सभी जरूरी सुविधाएं और ढाँचागत विकास उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी से सुझाव भी मांगे ताकि एक व्यापक कार्ययोजना बनाई जा सके। इस पहल से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी एक नई पहचान मिलेगी।

    सेज ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन और पीएचडीसीसीआई के मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने बताया कि भोपाल और इंदौर में मेडिसिटी की स्थापना के लिए कार्य कर रहे है। साथ ही भोपाल और ओंकारेश्वर में हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में निवेश की योजना बनाई जा रही है। इसमें पीएचडीसीसीआई के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल डॉ. रंजीत मेहता ने कहा कि वह मध्यप्रदेश में गोल्फ रिसॉर्ट खोलने की योजना पर कार्य कर रहे है।

    रेडिसन के डायरेक्टर और सेल अमित सिंह ने बताया कि उज्जैन में जल्दी ही उनका होटल खुलने जा रहा है। और निकट भविष्य में प्रदेश में 3 होटल और खोले जायेगे। इंडिगो के एसोसिएट डायरेक्टर विक्रांत देशमुख ने बताया कि आगामी सिंहस्थ को देखते हुए उड़ानों की संख्या में वृद्धि की जाएगी।

    राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस में पीएचडीसीसीआई के टूरिज्म कमिटी से अनिल पाराशर, इवेंट एंड एंटरटेनमेंट मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट समित गर्ग, ई फैक्टर एक्सपीरियंस लिमिटेड के को फाउंडर और चेयरमैन जय ठाकोर, वर्ल्ड डिजिटल डिटॉक्स डे की फाउंडर डॉ. रेखा चौधरी सहित प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति शिव शेखर शुक्ला सहित प्रशासनिक अधिकारी और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहें।