Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तानसेन के पैतृक घर के बारे में पूछा गया सवाल, ग्वालियर जिला प्रशासन ने झाड़ा पल्ला; बोला- ASI बता सकता है

    Updated: Sun, 09 Mar 2025 08:07 PM (IST)

    तानसेन के पैतृक घर के बारे में ग्वालियर जिला प्रशासन के पास कोई आधिकारिक जानकारी नहीं होने से हलचल मच गई है। बेहट गांव में स्थित तानसेन के घर की जानकारी के लिए पूछे गए प्रश्न का प्रशासन ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। इसके बजाय प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जांच कराने का सुझाव दिया। तानसेन भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक थे।

    Hero Image
    तानसेन अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। (फोटो सोर्स- MYGOV)

    जेएनएन, ग्वालियर। संगीत सम्राट तानसेन (Akbar Navratna Tansen) की जन्मस्थली बेहट गांव में उनके पैतृक घर को लेकर राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न से हलचल मच गई है। यह विडंबना सामने आई कि बेहट में संगीत सम्राट तानसेन के पैतृक घर के बारे में जिला प्रशासन के पास कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब जिला प्रशासन से तानसेन के पैतृक घर के बारे में पूछा गया तो उसने पल्ला झाड़ लिया। जिला प्रशासन ने कहा कि उसे तानसेन के घर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके साथ प्रशासन ने सुझाव दिया कि इसकी जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों से कराई जानी चाहिए। 

    कौन थे तानसेन?

    तानसेन भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और महान संगीतकारों में से एक हैं। उनका जन्म 1500 के आसपास ग्वालियर (वर्तमान मध्य प्रदेश) में हुआ था। वे मुगल सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों (नवरत्न) में से एक थे और अपनी संगीत प्रतिभा के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध थे।

    उनका संगीत रागों के गायन, वादन और रचना में था। उन्होंने संगीत के कई रागों को नई पहचान दी और कुछ रागों को ईजाद किया, जिसमें राग दीपक, राग मलहार, और राग तोड़ी शामिल हैं।

    तानसेन का राग मल्हार और राग दीपक

    तानसेन अकबर के दरबार में प्रमुख संगीतकार थे। उनका संगीत अकबर के दरबार में बड़े आदर से सुना जाता था। अकबर ने तानसेन की काबिलियत को अत्यधिक सराहा और उन्हें "संगीत सम्राट" का दर्जा दिया था। तानसेन का एक प्रसिद्ध राग दीपक था, जिसके बारे में किवदंतियां हैं कि जब तानसेन इसे गाते थे, तो उसकी ध्वनि से आग जल उठती थी। इसी तरह राग मलहार के लिए कहा जाता था कि इसके घाने से बारिश होने लगती थी।

    यह भी पढ़ें: MP News: खरगोन के होटल में नमाज अदा कर रहे थे लोग, तभी लग गई भीषण आग; लाखों का सामन जलकर खाक