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    MP का ‘बेस्ट पुलिस स्टेशन’ विवादों में! देश में नौवां स्थान पाने वाला मल्हारगढ़ थाना अब फर्जी केस के आरोपों से घिरा, पुलिस की बदनामी

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 10:53 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का मल्हारगढ़ थाना, जिसे देश में नौवां स्थान मिला, एक फर्जी केस के आरोप में घिर गया है। 18 वर्षीय छात्र सोहनलाल मरासी की गिर ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, इंदौर। देश के सर्वश्रेष्ठ थानों की सूची में नौवां स्थान हासिल कर चर्चा में आया मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का मल्हारगढ़ थाना अब एक ऐसे मामले में घिर गया है, जिसने उसकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 18 वर्षीय छात्र सोहनलाल मरासी (मूल निवासी राजस्थान) की गिरफ्तारी और उसके बैग से 2.50 किलो अफीम बरामद होने का दावा शुरू में सामान्य कार्रवाई माना गया, लेकिन मामला तब पलट गया जब छात्र पक्ष ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उसे फंसाया गया है।

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    कोर्ट में पेश हुए बस के सीसीटीवी फुटेज, पुलिस अधिकारियों के विरोधाभासी बयान और अंततः एसपी द्वारा स्वीकार की गई प्रक्रियागत त्रुटियों ने इस प्रकरण को जटिल बना दिया। अब मामला सत्य और संदेह के बीच खड़ा है और हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

    29 अगस्त को गिरफ्तारी, इंदौर हाई कोर्ट पहुंचा केस

    29 अगस्त 2025 को मल्हारगढ़ पुलिस ने दावा किया कि उसने सोहनलाल को अफीम के साथ गिरफ्तार किया है। इसके खिलाफ सोहनलाल ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट को बताया गया कि सोहनलाल 12वीं का छात्र है और अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुआ है। उसे फंसाया गया है।

    5 दिसंबर की सुनवाई में सोहनलाल के वकील ने कहा कि घटना वाले दिन मंदसौर से प्रतापगढ़ जाते समय सुबह 11:30 बजे सादी वर्दी में तीन पुलिसकर्मी आए और छात्र को मल्हारगढ़ के पास बस से उतार लिया। बस का सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश किया गया।

    थानेदार ने फुटेज को बताया गलत

    सुनवाई के दौरान बस मालिक ने हलफनामा देकर कहा कि यह फुटेज उसकी बस का नहीं है। साथ ही मल्हारगढ़ थाने के एसआई संजय प्रताप सिंह ने भी कहा कि वे वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मियों को नहीं पहचानते। इन विरोधाभासी बयानों पर जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने टिप्पणी की कि पूरा मल्हारगढ़ थाना ही इस प्रकरण में लिप्त प्रतीत होता है। उन्होंने एसपी को तलब किया और सोहनलाल को जमानत दे दी।

    एसपी कोर्ट पहुंचे, तो केस में आया मोड़

    9 दिसंबर की सुनवाई में मंदसौर एसपी विनोद कुमार मीना पेश हुए। उन्होंने बताया कि केस फर्जी नहीं है। अफीम सोहनलाल के बैग से ही मिली है। कार्रवाई करने वाले तीनों पुलिसकर्मी मल्हारगढ़ थाने के ही हैं।

    एसपी ने यह खुलासा भी किया कि एसआई संजय ने पिछली सुनवाई में गलत जानकारी दी थी। एसपी ने अपना सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया, जिसमें सोहनलाल पीठ पर बैग लटकाए चलता दिखाई दे रहा है। उसे अफीम देने वाला व्यक्ति भी आगे चलता दिख रहा है।

    यह भी पढ़ें- अफीम तस्करी के मामले पर सवाल, मंदसौर एसपी हाई कोर्ट में पेश, कहा- केस फर्जी नहीं, लेकिन प्रक्रिया गलत, TI सहित छह पुलिसकर्मी निलंबित

    कोर्ट में स्वीकारी गलती

    एसपी ने स्वीकार किया कि पुलिसकर्मियों ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इसी आधार पर उन्होंने छह को निलंबित किया है। जज ने दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत फुटेज देखे। दोनों में छात्र की पीठ पर बैग नजर आया। इस पर छात्र के वकील से पूछा कि पहले आपने कहा था कि छात्र के पास बैग नहीं था, जबकि दोनों फुटेज में है? इस पर छात्र पक्ष के वकील स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। पूरी सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।