Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jabalpur High Court: 'छेड़छाड़ को यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता', जबलपुर हाई कोर्ट ने दिया आदेश; आरोपी की सजा भी घटाई

    Updated: Fri, 16 May 2025 10:58 PM (IST)

    जबलपुर हाई कोर्ट ने अनूपपुर के हरि कीर्तन शाह की 20 साल की सजा को घटाकर 5 साल कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केवल छेड़छाड़ को यौन उत्पीड़न मानकर पॉस्को एक्ट के तहत सजा देना सही नहीं है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की पीठ ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने पीड़िता के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा में बदलाव किया।

    Hero Image
    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि छेड़छाड़ को पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न मानना अनुचित है।

    जेएनएन, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अनूपपुर निवासी हरि कीर्तन शाह की 20 साल की सजा को घटाकर 5 साल कर दिया। कोर्ट ने कहा कि महज छेड़छाड़ को यौन उत्पीड़न मानकर पॉक्सो एक्ट के तहत सजा देना उचित नहीं है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने यह आदेश पारित किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई

    हरि कीर्तन शाह को पोक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उन्होंने घटना से पहले थाना प्रभारी को शिकायत की थी कि उन्हें एससी-एसटी एक्ट में झूठा फंसाया जा सकता है।

    पीड़िता के बयान और मेडिकल रिपोर्ट आधार

    सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि उसके साथ छेड़छाड़ हुई, लेकिन यौन शोषण नहीं हुआ। मेडिकल रिपोर्ट में भी पीड़िता के निजी अंगों पर चोट के निशान नहीं मिले। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड का अवलोकन कर पाया कि केवल छेड़छाड़ का मामला था।

    सजा में संशोधन

    इन तथ्यों के आधार पर युगलपीठ ने सजा को 20 साल से घटाकर पांच साल कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि छेड़छाड़ को पोक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न मानना अनुचित है।

    यह भी पढ़ें: 'देशद्रोही' वाले बयान पर धीरेंद्र शास्त्री को नोटिस, अदालत ने 20 मई को पेश होने को कहा; जानिए पूरा मामला