पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का निधन, रोज 150 से 200 मरीज का करते थे इलाज; फीस थी मात्र 20 रुपये
पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जो गरीबों के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध थे का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे मरीजों से मामूली शुल्क लेते थे और जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करते थे। 2020 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी अपनी सेवाएं दी थीं। उनके निधन से समाज में शोक की लहर है।

जेएनएन, जबलपुर। पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार शाम को किया गया। डॉ. डाबर की ख्याति गरीबों के मसीहा के रूप में रही।
वह चिकित्सीय परामर्श का शुल्क दो से पांच रुपये लेते थे। महज 20 रुपये में गरीबों का इलाज करते थे। तमाम मरीजों का इलाज तो निशुल्क किया करते थे।
2020 में पद्मश्री से किया गया था सम्मानित
डॉ. डाबर को वर्ष 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह जबलपुर में 1972 से गरीबों का इलाज कर रहे थे। उनका जन्म 16 जनवरी 1946 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वह अपने माता-पिता के साथ भारत आ गए। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
1967 में प्राप्त की एमबीबीएस की डिग्री
पंजाब के जालंधर से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वह जबलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और 1967 में एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की।1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान डॉ. डाबर ने भारतीय सेना में चिकित्सक के रूप में सेवा दी।
डॉ. डाबर के लिए जब लोगों ने की थी प्रार्थना
वह हफ्ते में छह दिन काम करते थे और रोज 150 से 200 मरीजों का इलाज करते थे। उनकी सादगी और समर्पण का आलम यह था कि जब 1986 में उनको किडनी की समस्या आई थी, तब उनके मरीज मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में दुआ करने पहुंच गए थे।
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