Madhabi Buch: पूर्व SEBI चीफ माधवी बुच को हाईकोर्ट से राहत, FIR दर्ज करने के आदेश पर लगी रोक
हाईकोर्ट से पूर्व SEBI प्रमुख माधवी बुच को राहत मिली है। HC ने उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें पूर्व सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच समेत अन्य पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की बात कही गई थी। रविवार को मुंबई की एसीबी अदालत ने पूर्व सेबी चीफ पर कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शेयर बाजार धोखाधड़ी में पूर्व सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।
मुंबई की एसीबी अदालत ने पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और 5 अन्य के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इस आदेश के चुनौती देने के लिए बुच समेत अन्य लोगों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई हुई।
एसीबी अदालत के आदेश पर HC की रोक
तीन मार्च को माधबी पुरी बुच, ऑल टाइम मेंबर्स अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, कमलेश चंद्र वर्श्नेय, BSE के CEO सुंदररमन राममूर्ति और पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने अपने खिलाफ एसीबी अदालत के एफआईआर वाले आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। कोर्ट ने इस दौरान मामले की सुनवाई तक एफआईआर ना करने की बात कही थी। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।
जानिए क्या है मामला?
बता दें कि रविवार को मुंबई की एसीबी अदालत ने माधबी पुरी बुच, ऑल टाइम मेंबर्स अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, कमलेश चंद्र वर्श्नेय, BSE के CEO सुंदररमन राममूर्ति और पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था।
विशेष अदालत ने इन सभी पांच लोगों पर कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश, शशिकांत एकनाथराव बांगड़ ने पारित आदेश में कहा कि इन व्यक्तियों के खिलाफ नियमों में चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया सबूत मिले हैं, इसलिए इसमें एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी; और 30 दिनों के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी।
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