'पार्टी अब लड़ने लायक नहीं' I.N.D.I.A. में दरार; शिवसेना UBT ने कांग्रेस के खिलाफ खोला मोर्चा
सामना के संपादकीय में कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस में लड़ने की ताकत नहीं है लेकिन वह क्षेत्रीय दलों पीछे धकेलने से नहीं चूकती। इसका नतीजा महाराष्ट्र जैसे राज्य में देखने को मिला है। एक सच्चाई जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए। वह यह है कि भाजपा के साथ गए सहयोगी दल अपना अस्तित्व खो चुके हैं। कांग्रेस को ऐसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) के बिखराव की चर्चा के बीच उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए सलाह दी गई है।
उसने कहा है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को कमतर नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि वह अकेले कई राज्यों में चुनाव नहीं लड़ सकती। इसके साथ ही पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने भी पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यदि बातचीत बंद हो जाए तो कोई गठबंधन सफलतापूर्वक काम नहीं कर सकता।
कांग्रेस में लड़ने की ताकत नहीं: सामना
सामना के संपादकीय में कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस में लड़ने की ताकत नहीं है, लेकिन वह क्षेत्रीय दलों पीछे धकेलने से नहीं चूकती। इसका नतीजा महाराष्ट्र जैसे राज्य में देखने को मिला है। एक सच्चाई जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए। वह यह है कि भाजपा के साथ गए सहयोगी दल अपना अस्तित्व खो चुके हैं। कांग्रेस को ऐसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
चुनाव के लिए बनाए गए आइएनडीआइए जैसे गठबंधनों की आयु कम नहीं होनी चाहिए। उन्हें हमेशा राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सामना कहता है कि कांग्रेस और 'आप' दिल्ली में आमने-सामने हो सकते हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के मुद्दे पर केजरीवाल को 'राष्ट्र-विरोधी' के रूप में पेश करना कांग्रेस की संस्कृति के अनुरूप नहीं है।
दिल्ली और पंजाब में आप-कांग्रेस आमने सामने
आइएनडीआइए को एक संयोजक की आवश्यकता है। अन्यथा सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। कांग्रेस को इस बारे में सोचना चाहिए। पंजाब और दिल्ली जैसे विभिन्न राज्यों में आप और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। केरल में कांग्रेस और वामपंथियों के बीच लड़ाई है। बंगाल में कांग्रेस तृणमूल के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी, क्योंकि हर क्षेत्रीय पार्टी को अपनी भूमिका, कार्यकर्ता और अस्तित्व बनाए रखना है। कांग्रेस पार्टी यह समझने के लिए तैयार नहीं है।
राजग में सहयोगी दलों के साथ समन्वय की तारीफ
संपादकीय में राजग में सहयोगी दलों के साथ समन्वय की तारीफ करते हुए लिखा गया है कि वह गठबंधन चाहे सत्ता में हो या न हो, जब कोई राष्ट्रीय मुद्दा उठता था तो दिल्ली में राजग की बैठक बुलाई जाती थी। अक्सर प्रमोद महाजन और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता उस राज्य में जाते थे और वहां के पार्टी प्रमुखों से चर्चा करते थे।
राजग के पास एक मजबूत संयोजक भी था। लंबे समय तक जार्ज फर्नांडिस जैसे वरिष्ठ नेता इस पद पर थे। संयोजक सभी घटक दलों के प्रमुखों से बातचीत और चर्चा करते थे। गरिमा के साथ बैठकें बुलाते थे। इसलिए, यह स्वीकार करना होगा कि उस गठबंधन के भीतर संबंध सतही नहीं थे, बल्कि पारिवारिक संबंधों पर आधारित थे।
आइएनडीआइए के पास नहीं है कोई विचारधारा और नीति: बावनकुले
महाराष्ट्र के मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि विपक्षी गठबंधन इसलिए बिखर रहा है, क्योंकि उसके पास देश के विकास के लिए कोई विचारधारा और नीति नहीं है। नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए बावनकुले ने कहा कि आइएनडीआइए बिखर चुका है तथा महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) कांग्रेस के खिलाफ है।
आइएनडीआइए के पास देश के विकास के लिए कोई नीति नहीं है। वे सत्ता के लिए एक साथ आए थे और अब सत्ता के बिना गठबंधन के सभी नेता बिखर गए हैं। महाराष्ट्र में भी आप देख सकते हैं कि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और शरद पवार कांग्रेस के खिलाफ हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके पास कोई विचारधारा नहीं है।
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