नागपुर हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर, भारी फोर्स तैनात
फहीम खान पर आरोप है कि वह नागपुर हिंसा का मास्टरमाइंड है। पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में फहीम खान के घर में हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर चल रहा है। फहीम ...और पढ़ें

पीटीआई, नागपुर। औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर नागपुर में हुए प्रदर्शनों ने अचानक ही हिंसा का रूप ले लिया। इसी बीच अब हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान पर महाराष्ट्र सरकार का डंडा चल गया है। आज फहीम खान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। फहीम खान पर आरोप है कि वह नागपुर हिंसा का मास्टरमाइंड है। फिलहाल वह पुलिस हिरासत में है।
17 मार्च को नागपुर में हिंसा हुई थी। अल्पसंख्यक लोकतांत्रिक पार्टी (एमडीपी) के नेता फहीम खान के साथ 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पहले नागपुर नगर निगम ने खान को नोटिस भी जारी किया था। नागपुर नगर निगम ने उसे खुद से अवैध निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था, जो आज पूरा हो गया।
#WATCH | Maharashtra: Police in Nagpur arrive at the residence of Nagpur violence accused Faheem Khan, with a bulldozer. pic.twitter.com/pJenvIVcZu
— ANI (@ANI) March 24, 2025
पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड है घर
सूत्रों के मुताबिक, यशोधरा नगर इलाके में संजय बाग कॉलोनी में स्थित यह घर फहीम खान की पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड है। एमडीपी के शहर प्रमुख फहीम खान फिलहाल जेल में बंद हैं। 17 मार्च को हिंसा भड़क उठी थी, जब यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक शिलालेखों वाली एक चादर जलाई गई थी।
नागपुर हिंसा में पुलिसकर्मी हुए थे घायल
झड़पों के परिणामस्वरूप शहर के कई हिस्सों में व्यापक पथराव और आगजनी हुई, जिसमें पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शनिवार को कहा था,
हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुई संपत्तियों की कीमत दंगाइयों से वसूली जाएगी और भुगतान न करने पर नुकसान की भरपाई के लिए उनकी संपत्तियों को जब्त कर बेचा जाएगा। मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही कहा था कि 'अगर कानून अनुमति देता है, तो बुलडोजर चलेगा।
नगर निगम ने किया था घर का निरीक्षण
20 मार्च को नगर निगम के अधिकारियों ने इस घर का निरीक्षण किया था और महाराष्ट्र क्षेत्रीय एवं नगर योजना अधिनियम, 1966 के उल्लंघन का हवाला दिया था। अधिकारियों का कहना है कि इस घर का कोई भवन योजना स्वीकृत नहीं थी, जिससे यह अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है।

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