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    मेडिकल का सपना अधूरा, ग्रेजुएशन से पहले 72 लाख रुपये की पैकेज वाली नौकरी, महज 20 साल की उम्र में कंपनी में बनाई अपनी अलग पहचान

    जब मेडिकल में असफल रही तो उन्होंने अपने सपनों से समझौता नहीं किया। रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में दाखिला लिया और इसी विषय में कुछ बेहतरीन करने की ठानी। उनका जज्बा ही था कि महज 20 साल की उम्र में वह कंपनी की सबसे कम उम्र वाली पहली महिला पेशेवर बनीं।

    By Neha Singh Edited By: Neha Singh Updated: Tue, 15 Jul 2025 07:57 PM (IST)
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    यहां पढ़ें रितुपर्णा की सफलता की पूरी कहानी।

    करियर डेस्क, नई दिल्ली: कभी-कभी कुदरत ने हमारे लिए कुछ बेहतरीन सोचा होता है। हमने अपने लिए जो रास्ते तय किए होते हैं, उससे बेहतरीन व विश्वसनीय। एक ऐसा रास्ता जो हमारी सोच से परे और बिल्कुल सपनों जैसा होता है। एक ऐसी ही उदाहरण है कर्नाटक के यमरवल्ली गांव, कोरुर की रहने वाली रितुपर्णा केएस की। जब वह मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने में असफल रही तो, वह नहीं जानती थी कि एक दिन वह दिग्गज कंपनी रोल्स रॉयस में कुछ बेहतरीन कर पाएंगी। रितुपर्णा की मेहनत और लगन ही थी कि उन्होंने बेहद ही कम उम्र में रोल्स रॉयस में 72 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी हासिल की। रितुपर्णा ब्रिटेन की प्रतिष्ठित कंपनी रोल्स रॉयस में सबसे कम उम्र वाली महिला भी बन गई हैं। रितुपर्णा की यह सफलता की कहानी बयां करती है कि अगर आपके हौसले बुलंद और आपमें कुछ करने का जज्बा हो तब आप लीक से हटकर भी अपने सपनों की उड़ान भर सकते हैं।

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    मेडिकल के क्षेत्र में रुझान

    रितुपर्णा कर्नाटक के यमरवल्ली गांव, कोरुर की रहने वाली है। बचपन से ही वह पढ़ाई में अव्वल भी रही है। वह घर में अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान हैं। रितुपर्णा बचपन से ही मेडिकल के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारना चाहती थी, लेकिन दुर्भाग्यवश वह मेडिकल में दाखिला नहीं ले सकी। लेकिन रितुपर्णा ने इससे हार नहीं मानी और सह्याद्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट (SCEM) में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में दाखिला ले लिया। बस फिर क्या था, उनका यह निर्णय उनके जीवन का एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

    ऑटोमेशन और मशीन डिजाइन के प्रति रुचि बढ़ी

    रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में दाखिला लेने के बाद रितुपर्णा की रुचि ऑटोमेशन और मशीन डिजाइनिंग में बढ़ी, जिसके बाद उन्होंने अपने एक मित्र के साथ मिलकर गोवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में "हार्वेस्टिंग एंड स्टायर" पर शोध प्रस्तुत किया। यहां उन्होंने सिंगापुर, जापान, चीन और रूस के प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा की और स्वर्ण पदक अपने नाम हासिल कर लिया।

    इंटर्नशिप ने बदली जिंदगी

    रितुपर्णा अब अपने कॉलेज के तीसरे वर्ष में इंटर्नशिप की तलाश कर रही थी। रितुपर्णा की शैक्षणिक उपलब्धियों, प्रोजेक्ट्स और साक्षात्कारों ने उन्हें रोल्स-रॉयस कंपनी में इंटर्नशिप दिलाने में मदद की। हालांकि इंटर्नशिप की दौरान रोल्स-रॉयस में उनका सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। कंपनी ने उनकी तकनीकी काबिलियत को परखने के लिए रोजाना नए प्रोजेक्ट्स दिए। लेकिन रितुपर्णा का जज्बा ही था कि उन्होंने हर चुनौतियों का सामना बड़ी ही बहादुरी से किया। इसके बाद कंपनी ने उनकी स्नातक पूरा होने से पहले ही उन्हें नौकरी का प्रस्ताव दे दिया, जिसकी सलाना पैकेज लगभग 72 लाख रुपये है। फिलहाल रितुपर्णा अभी कंपनी के लिए ऑनलाइन रूप से काम कर रही है। सातवें सेमेस्टर पूरा करने के बाद वह कंपनी में पूर्णकालिक पेशेवर के रूप में काम करेंगी। 

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