Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    26/11 के मास्टरमाइंड अबू जुंदल के खिलाफ सात साल बाद फिर से शुरू होगा ट्रायल, HC ने दिए कड़े निर्देश 

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदल के खिलाफ ट्रायल सात साल बाद फिर शुरू होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अधिकारियों को गोपनीय दस्तावेज आरोपी को सौंपने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने दिल्ली पुलिस, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की याचिका को स्वीकार किया।

    Hero Image

    अबू जुंदल के खिलाफ सात साल बाद फिर से शुरू होगा ट्रायल (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई में 26/11 आतंकी हमलों के मामले में कथित मास्टरमाइंड जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदल के खिलाफ रुका हुआ ट्रायल सात साल बाद फिर से शुरू होने वाला है। बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें अधिकारियों को गोपनीय दस्तावेज आरोपित को सौंपने का निर्देश दिया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जस्टिस आरएन लड्ढा की पीठ ने दिल्ली पुलिस, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की याचिका को मंजूरी दे दी। इसमें ट्रायल कोर्ट के 2018 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें अधिकारियों को गोपनीय दस्तावेज जुंदल को सौंपने का निर्देश दिया गया था।

    2018 से रुका हुआ है ट्रायल

    याचिका लंबित होने के कारण नवंबर, 2008 में मुंबई पर हमला करने वाले 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के मास्टरमाइंड एवं हैंडलर अबू जुंदल के खिलाफ ट्रायल 2018 से रुका हुआ था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दावा किया था कि लश्कर-ए-तैयबा के इस आपरेटिव को राष्ट्रीय राजधानी में एयरपोर्ट के बाहर से पकड़ा गया था, जबकि आरोपित ने दावा किया कि उसे सऊदी अरब में गिरफ्तार किया गया था और फिर भारत डिपोर्ट किया गया था।

    उसने अपना दावा साबित करने के उद्देश्य से कुछ डाक्यूमेंट्स मांगने के लिए मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2018 में कोर्ट ने अधिकारियों को जुंदल द्वारा मांगे गए डाक्यूमेंट्स देने का निर्देश दिया था।


    केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि यह कानून के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने सोमवार को याचिका मंजूर कर ली और कोर्ट के आदेश को रद कर दिया।