अफगानिस्तानी दूतावास को लेकर छाए अनिश्चितता के बादल, कई महीनों से गायब हैं राजदूत फरीद मामुंदजई
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही नई दिल्ली स्थित अफगानी दूतावास के भविष्य को लेकर जो अनिश्चितता चल रही थी अब वह काफी घनी हो गई है। बताया गया है कि दूतावास ने अगले कुछ दिनों के भीतर ही अपना कामकाज बंद करने को लेकर विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। इस बारे में दूतावास में संपर्क करने की कोशिश असफल रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही नई दिल्ली स्थित अफगानी दूतावास के भविष्य को लेकर जो अनिश्चितता चल रही थी, अब वह काफी घनी हो गई है। दूतावास का कामकाज अभी तक पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के कार्यकाल में नियुक्त राजदूत फरीद मामुंदजई ही देख रहे थे लेकिन पिछले तीन महीनों से उनका कुछ अता-पता नहीं है।
कई देशों में शरण ले चुके हैं दूतावास के अधिकारी
बताया जा रहा है कि वह लंदन में हैं। उनके बाद दूतावास के दूसरे कई अधिकारी भी ब्रिटेन व कुछ अन्य देशों में शरण ले चुके हैं। अब दूतावास के बचे कर्मचारियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। बताया गया है कि दूतावास की तरफ से कामकाज बंद करने का नोटिस दे दिया गया है। ऐसे में हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय की भी नजर है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा
अफगान दूतावास की तरफ से जारी सूचना की वैधता व सच्चाई की परख की जी रही है। यह सूचना इस संदर्भ में है कि राजदूत पिछले कई महीनों से बाहर हैं। बहुत सारे दूसरे राजनयिक भी शरणार्थी के तौर पर दूसरे देशों का रुख कर चुके हैं। दूतावास के भीतर आपसी लड़ाई की भी सूचना है।
दूतावास ने विदेश मंत्रालय को लिखा पत्र
बताया गया है कि दूतावास ने अगले कुछ दिनों के भीतर ही अपना कामकाज बंद करने को लेकर विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। इस बारे में दूतावास में संपर्क करने की कोशिश असफल रही है। राजदूत कुछ माह पहले तक स्वयं ही भारतीय मीडिया के संपर्क में रहते थे लेकिन अब उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा।
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भारत ने नहीं दी है तालिबान सरकार को मान्यता
सूत्रों का कहना है कि दूतावास का बंद होना एक तरह से अच्छा भी है। वैसे भी भारत ने काबुल में तालिबान के साथ संपर्क साध रखा है और उसे मानवीय आधार पर मदद देने की प्रक्रिया भी जारी रखी है। भारत ने काबुल में अपने दूतावास में तकनीकी टीम भी तैनात कर रखी है।
वैसे भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। भारत कुछ दूसरे देशों के साथ मिलकर कोशिश में है कि काबुल में वहां के समाज के दूसरे प्रतिनिधियों को मिलाकर एक मिली-जुली सरकार का गठन हो। बाहर से अफगानिस्तान की स्थिति पहले से ज्यादा स्थिर दिखाई दे रही है। लेकिन जानकारों का मानना है कि स्थिति खराब में होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
इंटरनेट मीडिया पर पिछले हफ्ते तक सक्रिय था अफगानी दूतावास
नई दिल्ली स्थित अफगानी दूतावास के कुछ अधिकारी तालिबान के प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं। अफगानी दूतावास पिछले हफ्ते तक कम से कम इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहा है। उसकी तरफ से वीजा नहीं मिल पाने की वजह से पढ़ाई पूरा नहीं कर पा रहे अफगानिस्तान के विद्यार्थियों के मुद्दे को उठाया जा रहा था। कोविड के दौरान भारत में पढ़ाई करने वाले हजारों अफगानी छात्रों को स्वदेश वापस जाना पड़ा था।
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वीजा नहीं मिलने से फंसे हुए हैं 2500 अफगानी छात्र
उसके बाद अगस्त, 2021 में काबुल पर तालिबान के सत्ता में आने के बाद स्थिति और ज्यादा खराब हो गई थी। अफगानिस्तान दूतावास के अधिकारियों ने कुछ महीने पहले बताया था कि 2500 अफगानी छात्र वीजा नहीं मिलने की वजह से फंसे हुए हैं।
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