कृषि शिक्षा के सभी खाली पद जल्द भरने की तैयारी, शिवराज सिंह बोले- 'छात्र-छात्राओं के भविष्य से समझौता नहीं'
केंद्र सरकार कृषि शिक्षा को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में खाली पद भरने के निर्देश दिए हैं। राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखा जाएगा। छात्रों से सुझाव लेने के लिए टीम बनाई जाएगी और कृषि शिक्षा में सुधार के लिए नवीन तकनीकों का अध्ययन किया जाएगा।

शिवराज ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा खेती के विकास के बिना अधूरी है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में कृषि शिक्षा को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाने का संकेत दिया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालयों और कालेजों में खाली पड़े पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को सभी रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए।
कहा कि राज्यों में भी कृषि शिक्षा से जुड़े संस्थानों में शिक्षकों और वैज्ञानिकों की कमी दूर करने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजे जाएंगे। दिल्ली स्थित पूसा परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन में चौहान ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण कृषि शिक्षा विकसित भारत के लक्ष्य की आधारशिला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि के छात्र-छात्राओं के भविष्य से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है।
टीम गठित कर रचनात्मक सुझाव लेने को कहा
इस दिशा में तेजी लाने के लिए उन्होंने आइसीएआर को यह भी निर्देश दिया कि विद्यार्थियों की एक टीम गठित कर उनसे रचनात्मक सुझाव लिए जाएं, ताकि शिक्षा व्यवस्था की कमियों को व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर दूर किया जा सके। कृषि मंत्री ने कहा कि देश में कृषि विश्वविद्यालयों और कालेजों की ग्रेडिंग प्रणाली को प्रभावी बनाकर उनमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने आईसीएआर को सुझाव दिया कि विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे नवीन प्रयोगों और तकनीकों का अध्ययन कर उन्हें भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप लागू किया जाए।
चौहान ने कहा कि यदि खेती और गांवों को मिलकर विकसित किया जाए तो पलायन समस्या स्वत: कम हो जाएगी। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा खेती के विकास के बिना अधूरी है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कृषि विद्यार्थी साल में कम से कम एक बार किसानों के खेतों पर जाकर प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करें, ताकि वे ग्रामीण कृषि की वास्तविक चुनौतियों को समझ सकें और उनके समाधान पर कार्य कर सकें।
सम्मेलन में देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों और कालेजों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान, आधुनिक तकनीकों और ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ाना था। इसमें विद्यार्थियों को सरकार की नवीन नीतियों, कृषि शिक्षा के उन्नत मानकों और शोध के अवसरों से भी अवगत कराया गया।

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