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    एअर इंडिया प्लेन क्रैश: 'पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया', SC में केंद्र और DGCA का जवाब

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 02:14 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट एअर इंडिया विमान दुर्घटना की स्वतंत्र जांच की मांग पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने केंद्र और डीजीसीए से जवाब मांगा है। सरकार ने बताया कि जांच के लिए एएआईबी का गठन किया गया है और प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया है। 

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    सुप्रीम कोर्ट में एयर इंडिया विमान हादसा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एअर इंडिया विमान दुर्घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनावाई जारी है। सुनवाई के दौरान टॉप कोर्ट ने दिवंगत पायलट के पिता की याचिका पर केंद्र और डीजीसीए से जवाब मांगा। इससे पहले कोर्ट ने दिवंगत पायलट सुमित सबरवाल के पिता से कहा था कि उन्हें यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि उनके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है।

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    इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एअर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) जांच दल का गठन किया गया है। इसके साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने साफ किया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान दुर्घटना के लिए एअर इंडिया के पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया है।

    हादसे में 260 लोगों की गई थी जान 

    12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ान भरने के 32 सेकेंड बाद क्रैश होकर एक इमारत से टकरा गई थी। इस हादसे में एक यात्री को छोड़कर 260 लोगों की जान चली गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट में एअर इंडिया विमान हादसा

    एएआईबी की शुरूआती जांच रिपोर्ट आने के बाद विमान के पायलट की लापरवाही की बात सामने आ रही थी। रिपोर्ट में कहा गया कि उड़ान भरने के तुरंत बाद दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद कर दी गई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि फ्यूल कंट्रोल स्विच एक के बाद एक "कटऑफ" स्थिति में आ गए। हालांकि करीब 10 सेकंड बाद स्विच वापस चालू कर दिए गए, लेकिन इंजन पहले ही जल चुके थे, जिससे दुर्घटना हुई।

    जांच के लिए एएआईबी का गठन

    बाद में कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने दिवंगत पायलट के पिता से कहा, "यह दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है।"