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    कनेक्टिंग फ्लाइट्स से एयरलाइंस वसूल रही मनमाना किराया, एयरफेयर पर कैप लगाने के नियम में निकाली खामी

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 10:00 PM (IST)

    इंडिगो संकट के बाद घरेलू हवाई किराए में वृद्धि के बाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया और बेस फेयर पर कैप लगा दी। हालांकि, एयरलाइंस ने कनेक्ट ...और पढ़ें

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    कनेक्टिंग फ्लाइट्स से एयरलाइंस वसूल रही मनमाना किराया (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंडिगो संकट के बाद घरेलू हवाई किर आाया आसमान छूने लगा तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने छह दिसंबर को तत्काल हस्तक्षेप करते हुए दूरी के हिसाब से अधिकतम बेस फेयर की सीमा (कैप) लगा दी।

    सरकार ने इसे सख्ती से लागू करने का दावा किया लेकिन सोमवार को यह तस्वीर कई रूटों में बिल्कुल उलट दिखी। प्रमुख महानगरीय रूटों पर किराया काबू में आया है मगर छोटे और वैसे रूट जहां सीधी उड़ानों की सुविधा नहीं है वहां कैप को ताक पर रखकर मनमाना किराया वसूला जा रहा है।

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    उठाया जाएगा प्रभावी कदम

    दअरसल, कंपनियां इस बारे में मौजूदा नियमों में खामी निकाल चुकी हैं और ग्राहकों से ज्यादा किराया देना पड़ रहा है। वैसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय की नजर इस पर गई है और हो सकता है कि इस बारे में जल्द ही प्रभावी कदम उठाया जाए। दरअसल एयरलाइंस ने इसका फायदा उठा लिया है कि कैपिंग के दिशानिर्देश में यह नहीं कहा गया है कि कनेक्टिंग फ्लाइट पर भी इसका फायदा मिलेगा।

    उनका दावा है कि “कैप सिर्फ डायरेक्ट फ्लाइट्स पर लागू होती है, कनेक्टिंग पर नहीं।'' इस एक लूपहोल को पकड़कर कंपनियां छोटे शहरों के यात्रियों से कई गुना ज्यादा पैसे ऐंठ रही हैं। चंडीगढ़, लेह, अगरतला, डिब्रूगढ़, पूणे, गोरखपुर, कांगड़ा जैसे सेक्टर्स का यही हाल है, जहां सीधी उड़ानें कम हैं और कनेक्टिंग टिकटों का दाम कैप से 3-4 गुना ऊपर चल रहा है।

    दिलचस्प बात यह है कि एयरलाइंस की अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर ये टिकट कभी-कभी थोड़े सस्ते दिखते हैं, लेकिन थर्ड-पार्टी ऑनलाइन ट्रैवल एजेंट (ओटीए) पर वही टिकट 30-50 फीसद महंगा है। सूत्रों का कहना है कि इस अंतर एयरलाइंस और ओटीए मिलकर अतिरिक्त कमीशन कमा रहे हैं, जबकि यात्री ठगा महसूस कर रहा है।

    किराया क्यों है ज्यादा?

    एअर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि दो वजहों से किराया ज्यादा है। पहला, कनेक्टिंग फ्लाइट है, जिसमें ग्राहकों को पहले एक जगह से दूसरे शहर फिर वहां से गंतव्य शहर के लिए उड़ान लेनी रपड़ रही है। यहां सीधी दूरी का मतलब नहीं रह जाता।

    ऐसे मामले में दो या फिर तीन फ्लाइट का पैसा जोड़ा जा रहा है। दूसरा कारण, थर्ड पार्टी मोबाइल एप कंपनियों की भी मनमाना रवैया है। एयरलाइनों ने इन कंपनियों से कहा है कि वह ज्यादा किराया नहीं दिखाएं लेकिन मोबाइल एप कंपनियां भी मांग बढ़ने में कमाई का मौका देख रही हैं।

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