अल फलाह यूनिवर्सिटी के पास ही चल रही थी आतंक की 'फैक्ट्री', आतंकी मुजम्मिल का क्या था प्लान?
दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास एक मदरसे के बारे में पता चला है, जो आतंक की नर्सरी के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था। इस मदरसे को आतंकी मुजम्मिल फंड कर रहा था, और जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी इमाम मोहम्मद इश्तियाक के नाम पर है। पुलिस ने इमाम को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है।

यूनिवर्सिटी से केवल 700 मीटर की दूरी पर 200 वर्गगज में एक मदरसा बना हुआ है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच एजेसियां हर कड़ी खंगाल रही हैं। धमाके में मारे गए आतंकी उमर से जुड़े हर एक व्यक्ति की कुंडली खंगाली जा रही है। पुलिस ने पहले ही उमर के सहयोगी आतंकी डॉ. मुजम्मिल को उठा लिया है और उसके काले पर्चे तलाशे जा रहे हैं।

वहीं पता चला है कि विवादों में आई अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास आतंक की नर्सरी तैयार हो रही है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी से केवल 700 मीटर की दूरी पर 200 वर्गगज में एक मदरसा बना हुआ है, जहां बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी। ये बिल्डिंग अभी भी निर्माणाधीन ही है।
इश्तियाक के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी
इस मामले में यूनिवर्सिटी की मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक का नाम भी सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि जिस जमीन पर मदरसा बना है, उसकी पावर ऑफ अटॉर्नी मोहम्मद इश्तियाक के नाम है। इस मदरसे को मुजम्मिल ही फंड कर रहा था। पुलिस ने उसके बैंक खातों की जांच भी शुरू कर दी है।
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इश्तियाक की पत्नी हसीन का कहना है कि उसके पति को यूनिवर्सिटी से 10 हजार रुपए ही सैलरी मिलती थी। यूनिवर्सिटी परिसर स्थित मस्जिद के इमाम इश्तियाक को पुलिस ने 13 नवंबर को ही गिरफ्तार कर लिया था। इसी इमाम के फतेहपुर तगा वाले मकान में डॉक्टर ने किराए पर कमरा लेकर 2523 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था।
नमाज पढ़ने के बहाने जाता था मुजम्मिल
सूत्रों के अनुसार, सालभर से आतंकी मुजम्मिल इमाम के पास नमाज पढ़ने के बहाने जाता था। धीरे-धीरे इमाम के परिवार का इलाज कर उसे अपने विश्वास में ले लिया। इसी बहाने दोनों की नजदीक भी बढ़ी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि साल में मस्जिद के अलावा भी इमाम आतंकी डाक्टर से तीन से चार बार घर पर भी मिला था।

यह भी जानकारी मिली है कि इमाम के बेटे के पैर का आपरेशन भी मुजम्मिल ने ही अस्पताल में करवाया था। दोनों के बीच में रुपये भी ट्रांसफर हुए थे। जब इमाम के बेटे मोहम्मद जुनैद से बात की गई तो यह स्पष्ट भी हो गया कि मुजम्मिल ने इमाम को पैसे दिए थे।

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