पढ़ाने के साथ आवारा कुत्तों पर भी नजर रखेंगे स्कूल टीचर, छत्तीसगढ़ में अनोखा सरकारी आदेश
आदेश के अनुसार, शिक्षकों को स्कूल परिसर या उसके आसपास विचरण कर रहे आवारा कुत्तों की जानकारी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डागकैचर को देनी ह ...और पढ़ें

पढ़ाने के साथ आवारा कुत्तों पर भी नजर रखेंगे स्कूल टीचर (सांकेतिक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, रायपुर। प्रदेश में अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूलों के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों पर भी नजर रखेंगे। लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिलों के जेडी और डीईओ को आदेश जारी कर प्रत्येक स्कूल में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
आदेश के अनुसार, शिक्षकों को स्कूल परिसर या उसके आसपास विचरण कर रहे आवारा कुत्तों की जानकारी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डाग कैचर को देनी होगी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से स्कूल में कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इस निर्देश के जारी होते ही शिक्षकों में नाराजगी फैल गई है।
टीचर्स एसोसिएशन ने जताया इसका विरोध
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन जिला इकाई ने आदेश को अव्यावहारिक और शिक्षकीय गरिमा के विरुद्ध बताया है। जिला अध्यक्ष दिलीप साहू, प्रदेश संगठन सचिव बीरबल देशमुख, जिला संयोजक रामकिशोर खरांशु, कामता प्रसाद साहू, शिव शांडिल्य, वीरेन्द्र देवांगन, नीलेश देशमुख, पवन जोशी, कांतु राम चंदेल, जिला सचिव नरेंद्र साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से विरोध दर्ज कराया है।
कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देना अनुचित
उनका कहना है कि शिक्षकों पर पहले से ही कई गैर-शिक्षकीय कार्यों का बोझ है, ऐसे में आवारा कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देना अनुचित है।
एसोसिएशन का तर्क है कि कुत्तों की निगरानी व नियंत्रण स्थानीय प्रशासन का काम है, जिसे शिक्षकों पर थोपना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षण कार्य पहले ही बाधित हो रहा है और इस तरह की अतिरिक्त जिम्मेदारियां शिक्षक समुदाय की कार्य क्षमता को प्रभावित करती हैं।

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