अमेरिकी F-35C क्रैश: ट्रंप भारत पर इसकी खरीद के लिए बना रहे दबाव, अब चर्चा में है खामियां
अमेरिकी लड़ाकू विमान F-35C कैलिफोर्निया में क्रैश हो गया। यह वही उन्नत फाइटर जेट है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को बेचना चाहते थे लेकिन भारत ने इसकी तकनीकी खामियों और महंगे रखरखाव के कारण डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब यह तकनीकी खामियों के चर्चा में है यहां पढ़ें खामियां और खासियत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के कैलिफोर्निया में एफ-35 सी लड़ाकू विमान क्रैश हो गया। एफ-35 सी फाइटर जेट उस एफ-35 का उन्नत वर्जन है, जिसे अमेरिका भारत को बेचना चाहता है और भारत सरकार खरीदने की इच्छुक नहीं है।
एफ-35 सी अमेरिकी नौसेना के लिए डिजाइन किया गया है। इस फाइटर जेट की कीमत 100 मिलियन डॉलर (करीब 872 करोड़ रुपए) है। आइए बताते हैं कि इस फाइटर जेट की खासियत क्या हैं...
F-35 को लेकर US-India के बीच क्या है मामला?
दरअसल, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि फरवरी 2025 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे, उस वक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने F-35 लड़ाकू विमान को प्रस्ताव रखा था। उसके बाद से ट्रंप लगातार F-35 फाइटर जेट्स को खरीदने के लिए भारत पर दबाव बना रहे हैं।
हालांकि, भारत सरकार ने एफ-35 की खामियों को ध्यान में रखते हुए इस डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया, क्योंकि भारत के पास एफ-35 से बेहतर फाइटर जेट्स के ऑप्शन हैं। भारत सरकार ने अमेरिकी सरकार को जानकारी दे दी है कि वह एफ-35 लड़ाकू विमानों को खरीदने का इच्छुक नहीं है।
F-35 में क्या खासियत है?
- एफ-35 लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है।
- यह रडार की पकड़ में नहीं आता है, रडार सिस्टम को धोखा देने में सक्षम है।
- यह स्टील्थ, सेंसर फ्यूजन और नेटवर्क इनेबल ऑपरेशन से लैस है।
- F-35 जासूसी करने और निगरानी करने में भी सक्षम है।
- यह 2200 किलोमीटर तक तबाही मचा सकता है।
- एफ-35 परमाणु बम और मिसाइलें ले जाने में सक्षम है।
- अमेरिकी नौसेना इस जेट को 2019 से इस्तेमाल कर रही है।
विमान में क्या हैं तकनीकी समस्याएं?
एफ-35 फाइटर जेट्स में शुरुआती सालों में सॉफ्टवेयर बग्स, रडार व वैपन सिस्टम में ग्लिच, इंजन फेल होने, सेंसर के ठीक से काम नहीं करने, पायलट के हेलमेट में नाइट-विजन या डेटा लेट दिखना और दिशा भटकना जैसी कई दिक्कतें सामने आई।
एफ-35 के कुछ उन्नत वर्जन में अब भी इस तरह की समस्याएं बनी हुई हैं। इनक सबको ध्यान में रखते हुए ही भारत सरकार ने एफ-35 फाइटर जेट नहीं खरीदने का फैसला लिया।
जेट्स का रखरखाव कैसा है?
एफ-35 लड़ाकू विमान का रखरखाव बहुत ही ज्यादा महंगा है। एफ-35 रखरखाव के खर्च की आलोचना इलॉन मस्क भी कर चुके हैं। भारत में इसक उदाहरण, तब देखने को मिला, जब एक बार ब्रिटेन की सेना का एफ-35 बी विमान तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर चार हफ्ते से ज्यादा समय तक खड़ा रहा था। मेंटेनेंस और दोबारा उड़ने लायक बनाने में देरी के चलते हर जगह आलोचना हुई।
कितनों देशों के पास है एफ-35?
अमेरिका निर्मित एफ-35 लड़ाकू विमान यूएस वायुसेना समेत 19 देशों के पास है।
- अमेरिका
- ब्रिटेन
- इटली
- नीदरलैंड्स
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
- नॉर्वे
- डेनमार्क
- इजराइल
- जापान
- दक्षिण कोरिया
- बेल्जियम
- फिनलैंड
- पोलैंड
- सिंगापुर
- स्विट्जरलैंड
- जर्मनी
- चेक रिपब्लिक
- रोमानिया
F-35 अब तक कब और कहां क्रैश हुआ?
एफ-35 लड़ाकू विमानों में गंभीर दुर्घटनाएं या तकनीकी फेलियर की साल 2006 से लेकर अब तक 16 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित घटना 2023 की रही है, जब पायलट इजेक्ट कर गया, लेकिन विमान खुद-ब-खुद ऑटो मोड में उड़ता रहा और फिर क्रैश हो गया था। एक दिन बाद विमान का मलबा मिला था।
- 31 जुलाई, 2025 - कैलिफोर्निया
- 29 जनवरी 2025 - अलास्का
- 28 मई 2024 - अल्बुकर्क न्यू मैक्सिको
- 15 सितंबर, 2023 - दक्षिण कैरोलिना
- 29 जनवरी 2022 - दक्षिण चीन सागर
- 19 अक्टूबर 2022 - यूटा
- 28 सितंबर 2018 दक्षिण कैरोलिना
- नवंबर 17, 2021 - भूमध्य सागर
- 19 मई 2020 - फ्लोरिडा
- 9 अप्रैल 2019 - जापान
- 28 सितंबर 2018 - दक्षिण कैरोलिना
- 23 जून 2014 - फ्लोरिडा
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