कफ सीरप से होने वाली मौतों के बीच कैग ने खोली MP की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
मध्य प्रदेश में जहरीली कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद, सीएजी की रिपोर्ट ने राज्य की दवा खरीद प्रणाली में गंभीर खामियों का पर्दाफाश किया है। एमपीपीएचएससीएल ने प्रतिबंधित दवाओं की खरीद जारी रखी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया। निगम ने करोड़ों रुपये की प्रतिबंधित दवाएं खरीदीं, जिनमें मेट्रोनिडाजोल + नॉरफ्लोक्सासिन और एजिथ्रोमाइसिन + सेफिक्सिम जैसे संयोजन शामिल थे। सीएजी ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया, जिससे जन स्वास्थ्य को खतरा हुआ।

कैग की रिपोर्ट में दवाइयों को लेकर बड़ा खुलासा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक तरफ मध्य प्रदेश जहरीली खांसी की दवा के कारण 23 बच्चों की दुखद मौत से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के एक नए खुलासे ने राज्य की दवा विनियमन और खरीद प्रणाली में एक गहरे संकट को उजागर किया है।
सीएजी की 2024-25 की रिपोर्ट से पता चलता है कि मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीपीएचएससीएल) ने उन दवाओं की खरीद और वितरण जारी रखा, जिन्हें भारत सरकार द्वारा मानव उपयोग के लिए स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया था, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया।
रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा?
2017 और 2022 के बीच, निगम ने इन प्रतिबंधित दवाओं के लिए दवा कंपनियों के साथ 1.5 करोड़ रुपये के दर अनुबंध (निश्चित मूल्य समझौते) किए और जिला स्तर पर स्थानीय निविदाओं के माध्यम से 22.9 लाख रुपये की दवाएं खरीदीं, जिससे प्रतिबंधित दवा खरीद का कुल मूल्य 1.8 करोड़ रुपये हो गया।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत प्रतिबंधित 518 दवाओं और निश्चित खुराक संयोजनों की सूची अधिसूचित की थी। इन दवाओं को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मानव उपयोग के लिए निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था।
एमपीपीएचएससीएल ने की खरीद में सहायता
इसके बावजूद, कैग ने पाया कि एमपीपीएचएससीएल ने न केवल ऐसी दवाओं के लिए दर अनुबंध निष्पादित किए, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा उनकी खरीद में भी सहायता की। खरीदी गई प्रतिबंधित दवाओं में मेट्रोनिडाजोल + नॉरफ्लोक्सासिन (जो एक जीवाणुरोधी और अमीबिक-रोधी दवा है) के निश्चित-खुराक संयोजन शामिल थे, जो 10 मार्च, 2016 से प्रतिबंधित थे, लेकिन 27 अक्टूबर, 2016 और 1 जुलाई, 2017 के अनुबंधों के माध्यम से आपूर्ति किए गए थे, जिनकी कीमत 32.1 लाख रुपये थी।
एजिथ्रोमाइसिन + सेफिक्सिम (जो रोगाणुरोधी हैं) के संयोजन पर भी 2016 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन 7 जुलाई, 2018 और 16 अगस्त, 2020 के अनुबंधों के माध्यम से 1.2 करोड़ रुपये की खरीद की गई थी।
स्वास्थ्य विभाग ने नहीं बरती सावधानी
सीएजी ने कहा कि यदि निगम और स्वास्थ्य विभाग ने उचित सावधानी बरती होती और इन दवाओं को निविदा सूची से हटा दिया होता, तो ऐसी खरीद से पूरी तरह बचा जा सकता था।
टाइमलाइन का पता लगाते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने 2016 में मेट्रोनिडाजोल + नॉरफ्लोक्सासिन और एजिथ्रोमाइसिन + सेफिक्सिम सहित निश्चित खुराक दवा संयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया था और सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2017 में प्रतिबंध को बरकरार रखा था। केंद्र ने 7 सितंबर, 2018 को एक नई अधिसूचना के माध्यम से प्रतिबंध की पुष्टि की।
हालांकि, मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारी अपनी खरीद को सही ठहराते रहे और दावा किया कि कुछ संयोजन किट के रूप में (पहले से पैक किट में) आपूर्ति किए गए थे, जिसे कैग ने अस्वीकार्य बताते हुए खारिज कर दिया। ऑडिट का निष्कर्ष है कि राज्य निगम द्वारा इन बार-बार जारी अधिसूचनाओं और अदालती आदेशों का पालन न करना घोर लापरवाही है, जिससे सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जन स्वास्थ्य को खतरा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।