विपक्ष को शाह की नसीहत: SIR का विरोध करोगे तो बंगाल में होगा बिहार जैसा हाल, वोट चोरी से नेहरू-इंदिरा को जोड़ा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष और राहुल गांधी के वोट चोरी के नैरेटिव को तथ्यों के साथ खारिज किया और करारा पलटवार किया। उन्होंने वोट चोरी की तीन ...और पढ़ें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले दो दिनों से चुनाव सुधार के बहाने एसआइआर पर हो रही चर्चा के जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष और राहुल गांधी के वोट चोरी के नैरेटिव को न सिर्फ तथ्यों के साथ खारिज किया बल्कि करारा पलटवार भी किया वोट चोरी की तीन ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसमें सरदार पटेल को ज्यादा वोट मिलने के बाद भी नेहरू को पीएम बना दिया गया।
दूसरी घटना इंदिरा गांधी थी जब उन्होंने गलत तरीके से चुनाव जीता था और तीसरी घटना सोनिया गांधी से जुड़ी है। शाह ने हाल ही में कोर्ट में आए उस मामले का जिक्र किया जिसमें भारतीय नागरिकता न होने के बावजूद वोटर बनने की कोशिश की गई थी।
शाह ने विपक्ष के वोट चोरी के नैरेटिव को खारिज किया
तिलमिलाते कांग्रेस सदस्यों के सामने ही उन्होंने नेता विपक्ष राहुल गांधी के वोट चोरी के प्रेस कांफ्रेंस को भ्रम फैलाने की साजिश करार देते हुए उनके एक एक सवाल का जवाब दिया। हालांकि विपक्ष तब वाकआउट कर गया जब उन्होंने कहा कि देश में किसी भी घुसपैठिए नहीं रहने दिया जाएगा।
अपने आक्रामक जवाब में शाह ने कहा कि वोट चोरी तब होती है जब जनादेश के खिलाफ सत्ता लिया जाता है। 1952 के पहले आम चुनाव का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि सरदार पटेल को कांग्रेस के अंदर तब 28 मत मिले थे जबकि जवाहरलाल नेहरू को सिर्फ दो। फिर भी नेहरू को ही पीएम बना दिया गया। यह उस समय की वोट चोरी थी।
सरदार पटेल, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के उदाहरण दिए
अमित शाह ने दूसरा उदाहरण में वह था जब इंदिरा गांधी गलत तरीके चुनाव जीतीं और कोर्ट ने उसे खारिज किया संसद से कानून बनाकर खुद को ही इम्युनिटी दे दी और कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई केस ही नहीं हो सकता है। जब तीसरे उदाहरण में उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ दिल्ली सिविल अदालत में दायर एक याचिका का उल्लेख हुआ तो कांग्रेस तिलमिला गई। कुछ सदस्यों ने खड़े होकर विरोध किया।
राहुल गांधी द्वारा एक दिन पहले उठाए गए तीन सवालों जिसमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश को हटाने, चुनाव आयुक्तों को दी जा रही इम्युनिटी और सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों में ही हटाने का शाह ने क्रमवार उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि आज की नियुक्ति प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी है। आजादी के बाद से 73 साल तक प्रधानमंत्री सीधे चुनाव आयुक्त नियुक्त कर देते थे।
चुनाव प्रक्रिया पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया
2023 के नए कानून ने प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री मिलकर नाम तय करने का प्रविधान कर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाई गई। पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला की भी याद दिलाई जिसपर शाह कमेटी ने उंगली उठाई थी। इम्युनिटी के मुद्दे पर शाह ने कहा कि यह सुरक्षा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 से आई है और सरकार ने इसमें कोई नया शब्द नहीं जोड़ा है।
सीसीटीवी फुटेज को लेकर शाह ने तर्क दिया कि चुनाव परिणाम पर आपत्ति के लिए पहले से ही 45 दिन की समय-सीमा है। इसलिए आयोग ने फुटेज 45 दिन तक संरक्षित रखने का प्रावधान किया, जो भी दल अधिक चाहता है वह हाईकोर्ट जाकर कोर्ट आर्डर से वह फुटेज मांग सकता है। इस बीच राहुल कुछ मौके में उग्र भी दिखे और शाह पर ही आरोप लगाया कि वह घबड़ाए हुए हैं। जवाब मिलने के बावजूद वाकआउट के बाद बाहर जाकर उन्होंने यह भी कहा कि शाह ने उनके सवालों का जवाब नहीं दिया।
ईवीएम-वीवीपैट के मुद्दे पर शाह ने इतिहास और आडिट-साक्ष्यों का तर्क दिया और ईवीएम को देश में लाने का श्रेय राजीव गांधी की सरकार को दिया। उन्होंने 2004 एवं 2009 में कांग्रेस की जीत का हवाला देते हुए कहा कि तब किसी ने ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया। बाद में चुनाव आयोग द्वारा 16 हजार से अधिक ईवीएम-वीवीपैट मिलानों में कोई भी मतगणना असंगति नहीं मिली।
बूथ कैप्चरिंग और बैलेट बाक्स लूट को खत्म किया
शाह ने दावा किया कि ईवीएम ने बूथ कैप्चरिंग और बैलेट बाक्स लूट जैसी पुरानी विसंगतियों को समाप्त किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को हार स्वीकार करना सीखना चाहिए। चुनाव-प्रक्रियाओं पर निराधार आरोप लोकतंत्र और जनता व दोनों का अपमान हैं।
शाह ने कहा कि एसआइआर चुनाव आयोग का अधिकार है और यह संविधान से प्राप्त है। उन्होंने कहा घुसपैठिए को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अचरज की बात है कि तभी विपक्ष ने वाकआउट भी किया और शाह तंज कसने से नहीं चूके कि उन्होंने तो घुसपैठिए को बाहर करने की बात कही थी।
शाह ने कहा कि राहुल गांधी ने बिहार में घुसपैठिया बचाओ यात्रा निकाली उनका सूपड़ा साफ हो गया। पशअनि बंगाल में तृणमूल घुसपैठियों का बचा रही है। उनका भी वही हाल होगा।

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