'अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई का रोडमैप तैयार', दैनिक जागरण के कार्यक्रम में अमित शाह ने किया खुलासा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि घुसपैठियों को देश का भविष्य तय नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि वे नागरिकता संशोधन पर अपना रुख स्पष्ट करें। शाह ने घुसपैठ को लोकतंत्र, संस्कृति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। उन्होंने जनसंख्या परिवर्तन मिशन के रोडमैप का खुलासा किया, जिसका उद्देश्य अवैध घुसपैठ का मूल्यांकन करना है। उन्होंने कहा कि सरकार देश की संस्कृति और लोकतंत्र को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

घुसपैठियों को लेकर अमित शाह का बड़ा खुलासा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के कड़े तेवर के बावजूद केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया कि घुसपैठियों को देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री तय नहीं करने देंगे। दैनिक जागरण के पूर्व संपादक नरेन्द्र मोहन की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में ''घुसपैठ, जनसांख्यिकी परिवर्तन और लोकतंत्र'' विषय पर बोलते हुए शाह ने घुसपैठियों की पहचान कर मतदाता सूची से उनका नाम डिलीट करने और अंतत: उन्हें डिपोर्ट करने पर सरकार की प्रतिबद्धता जताई।
शाह ने साफ किया कि मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए एसआईआर आजादी के बाद से ही चल रहा है, लेकिन सिर्फ अपने वोटबैंक को बचाने के लिए विपक्ष इस समय इसका विरोध कर रहा है। अमित शाह के अनुसार बिहार में एसआईआर संविधान के अनुरूप और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है, इसके बावजूद विपक्ष का इसके खिलाफ जुलूस निकालना संविधान की मर्यादाओं के खिलाफ है। संविधान के अनुच्छेद 326 में सिर्फ भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार दिया गया है। उनके अनुसार निष्पक्ष चुनाव के लिए संविधान के अनुरूप तय मतदाताओं की सूची तैयार करना जरूरी है।
अमित शाह ने विपक्ष को दी चुनौती
उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि यदि सिर्फ नागरिक को अधिकार को खत्म कर भारत में रहने वाले सभी लोगों को मतदान का अधिकार देना चाहता है, तो संसद में इसके लिए प्रस्ताव लेकर आए। उन्होंने बताया कि कई क्षेत्रों में 20 फीसद, 30 फीसद, 15 फीसद और 11 फीसद घुसपैठिये मिले हैं। शाह ने सवाल उठाया कि जो देश का नागरिक नहीं है, उसे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार कैसे दिया जा सकता है।
घुसपैठियों को लेकर अमित शाह ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि घुसपैठिया हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि यह देखकर वोट करेगा कि कौन उसे इस देश में रहने देगा। उन्होंने कहा कि जबतक मतदान का मकसद राष्ट्रहित नहीं होगा, लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता है। उन्होंने साफ किया कि देश कौन चलाएगा यह सिर्फ देश का नागरिक ही तय कर सकता है।
घुसपैठ को देश की सुरक्षा के साथ-साथ संस्कृति और लोकतंत्र पर खतरा बताते हुए अमित शाह ने बताया कि इससे निपटने का काम अकेले केंद्र सरकार नहीं कर सकता। उन्होंने सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय अर्धसैनिक बल बीएसएफ के होने के कारण घुसपैठ रोकने में विफलता के लिए केंद्र पर विपक्ष के हमलों का भी जवाब दिया।
'बांग्लादेश की सीमा पूरी तरह सील करना संभव नहीं'
शाह ने स्वीकार किया कि प्राकृतिक चुनौतियों के कारण बांग्लादेश की सीमा को पूरी तरह से सील करना संभव नहीं है। लेकिन घुसपैठ करने के बाद पहली बार कोई घुसपैठिया किसी गांव में ही जाता है। वोटबैंक के लिए घुसपैठियों को संरक्षण के लिए पश्चिम सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि आज तक किसी पटवारी ने एक भी घुसपैठिये के खिलाफ शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि कलक्टर के ऑफिस में सभी घुसपैठियों का आधार कार्ड बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों की सजगता कारण पाकिस्तान से लगी गुजरात और राजस्थान की सीमा पर घुसपैठ की घटनाएं नहीं होती हैं।
अमित शाह ने बताया कि मोदी सरकार ने घुसपैठियों के लिए डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट (3डी) की नीति अपनाई है। इसके तहत सबसे घुसपैठियों की पहचान की जाएगी, उसके बाद उसका नाम मतदाता सूची से डिलीट किया जाएगा और अंतत: उसे वापस उसके देश भेजा जाएगा। इसमें किसी को संशय नहीं होना चाहिए।
'कोई इसे कैसे सही ठहरा सकता है?'
उन्होंने देश की आत्मा, संस्कृति और लोकतंत्र को बचाने के लिए 3डी को जरूरी बताया। अमित शाह ने घुसपैठ की समस्या को नकारने वालों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से असम में 2001 और 2011 की जनगणना में मुसलमानों की आबादी 29.6 फीसद बढ़ गई। इसी बीच पश्चिम बंगाल के कई जिलों में मुस्लिम आबादी 40 फीसद को पार गई। कई सीमावर्ती जिलों में यह 70 फीसद तक पहुंच गई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जन्मदर अधिक होने के कारण नहीं हुआ है, बल्कि घुसपैठ के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कोई जनसंख्या में इस बढ़ोतरी को कैसे सही ठहरा सकता है।
अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई का रोडमैप तैयार
अमित शाह ने पहली बार उच्चाधिकार प्राप्त जनसांख्यिकी परिवर्तन मिशन के रोडमैप का खुलासा किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल 15 अगस्त को लालकिले से इस मिशन को बनाने का ऐलान किया था। अभी तक मिशन के गठन की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन अमित शाह ने बताया कि इस मिशन के तहत अवैध घुसपैठ का वैज्ञानिक मूल्यांकन कराया जाएगा। इसके साथ ही घुसपैठ के धार्मिक और सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले असर और इससे जनसांख्यिकी में बदलाव में संभावित कारणों की तह में भी जाएगा।
उन्होंने कहा कि मिशन के तहत असमान्य बसावट और उसके समाज के दीर्घकालीन प्रभाव के साथ घुसपैठ के कारण सीमा प्रबंधन पर पड़ने वाले बोझ का भी अध्ययन किया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि मिशन की रिपोर्ट आने के बाद में देश में बड़ा विवाद खड़ा होना तय है। लेकिन देश संस्कृति और लोकतंत्र को बचाने के लिए सरकार इस विवाद का पूरी दृढ़ता से जवाब देगा। उन्होंने जनता से विवाद में फंसने के बजाय तथ्यों की गहराई में जाकर सच को समझने की अपील की।
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