भारत की ताकत देख कांपेंगे दुश्मन, नौसेना में शामिल होगा स्वेदेशी युद्धपोत 'माहे'
स्वदेश में निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट 'माहे' 24 नवंबर को नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह पोत मालाबार तट पर स्थित माहे शहर के नाम पर है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, यह 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का उदाहरण है। माहे पानी के भीतर निगरानी और पनडुब्बियों का पता लगाने जैसे कार्यों में सक्षम है। 78 मीटर लंबा यह पोत 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है।

भारतीय नौसेना में शामिल होगा एंटी-सबमरीन युद्धपोत 'माहे'। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वदेश में निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) 'माहे' को 24 नवंबर को नौसेना में शामिल किया जाएगा।
नौसेना ने रविवार को बताया कि पनडुब्बी रोधी युद्धपोत माहे को 24 नवंबर को मुंबई में समारोह में नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस पोत का नाम मालाबार तट पर स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर है।
एसडब्ल्यूसी की श्रृंखला का पहला पोत
'माहे' आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी की श्रृंखला का पहला पोत है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित माहे पोत डिजाइन और निर्माण में भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का अत्याधुनिक उदाहरण है। इस पोत को पानी के भीतर निगरानी, पनडुब्बियों का पता लगाने, खोज और बचाव कार्यों और भारत के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
स्वदेशी तकनीक से बना है युद्धपोत
तारपीडो और पनडुब्बी रोधी राकेटों से लैस माहे श्रेणी का पहले एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी को सीएसएल 23 अक्टूबर को नौसेना को सौंपा था। 78 मीटर लंबा यह पोत डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन से संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।

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