ममता बनर्जी के गणना फॉर्म न भरने के दावे में है कितना दम, क्या कहता है नियम?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गणना फॉर्म न भरने के दावे पर चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण दिया है। आयोग के अनुसार, मुख्यमंत्री एक चिह्नित मतदाता हैं और उनका नाम मतदाता सूची में पहले से ही दर्ज है। प्रधानमंत्री और अन्य प्रभावशाली नेता भी इस सूची में शामिल हैं। ममता बनर्जी ने कहा था कि जब तक बंगाल का हर व्यक्ति फॉर्म नहीं भर लेता, वह भी नहीं भरेंगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए गणना फॉर्म नहीं भरती हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार मुख्यमंत्री एक चिह्नित मतदाता होते हैं। नतीजतन, उनका नाम पहले से ही मतदाता सूची में दर्ज है।
मुख्यमंत्री ही नहीं देश के प्रधानमंत्री और प्रभावशाली नेता-मंत्री इस सूची में हैं। उनके बारे में अलग से जानकारी रखी जाती है। आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के नाम आयोग की मतदाता सूची में स्वत: दर्ज हो जाते हैं। इसके लिए अलग से गणना फॉर्म भरने की जरूरत नहीं है। बंगाल की मुख्यमंत्री को भी यह सुविधा मिलेगी।
सीएम बनर्जी ने क्या कहा?
पिछले बुधवार को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) गणना फॉर्म लेकर मुख्यमंत्री आवास गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री ने खुद कहा कि उन्होंने कोई फॉर्म नहीं भरा। जब तक बंगाल का हर व्यक्ति एसआईआर गणना फॉर्म नहीं भर लेता है, तब तक वह नहीं भरेंगी।
चुनाव आयोग का क्या कहना है?
आयोग के सूत्रों के मुताबिक बुधवार को ममता के घर पर सदस्यों की संख्या के अनुसार कुल 40 फॉर्म दिए गए। मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा के प्रभारी ने गणना फॉर्म पर हस्ताक्षर किए और उन्हें स्वीकार किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री के भाई अमित बनर्जी ने संबंधित प्रतिनिधि से खुद समझा है कि गणना फॉर्म कैसे भरना है।
मुख्यमंत्री स्वयं भवानीपुर विधानसभा सीट की मतदाता और उस क्षेत्र की विधायक हैं। उनका नाम बूथ संख्या 77 में होना चाहिए। ममता हमेशा उस बूथ पर वोट देने जाती रही हैं। ममता शुरू से ही 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ रही हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।