बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस कितना होना चाहिए? RBI गवर्नर का पूरा जवाब पढ़ें और अपनी स्ट्रैटेजी बनाएं
आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि की सीमा तय करना बैंकों का काम है यह किसी नियामकीय क्षेत्राधिकार में नहीं आता। आइसीआइसीआइ बैंक द्वारा मिनिमम बैलेंस बढ़ाने पर उन्होंने यह स्पष्टीकरण दिया। नए ग्राहकों के लिए महानगरों में यह सीमा 50000 रुपये है।

आइएएनएस, नई दिल्ली। आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को कहा कि बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि की सीमा कितनी हो, यह तय करना बैंकों का काम है। उन्होंने कहा कि मिनिमम बैलेंस की सीमा का फैसला किसी भी नियामकीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता है।
दरअसल, आरबीआइ का यह स्पष्टीकरण देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक आइसीआइसीआइ बैंक द्वारा सभी ग्राहक वर्गों के लिए मासिक न्यूनतम औसत शेष राशि में पांच गुना की वृद्धि करने के बाद आया है।
गुजरात में एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के दौरान मिनिमम बैलेंस पर आइसीआइसीआइ बैंक के नए नियमों पर आरबीआइ की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर मल्होत्रा ने कहा कि यह तय करना बैंकों का काम है।
उन्होंने कहा कि कुछ बैंकों ने यह सीमा 10,000 रुपये तय की है, जबकि कुछ बैंकों ने ग्राहकों के लिए यह सीमा 2,000 रुपये रखी है। हालांकि, कई बैंक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने ग्राहकों के लिए इसे पूरी तरह से हटा दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया, ''यह निर्णय नियामकीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता है।''
ICICI बैंक ने न्यूनतम औसत सीमा 50 हजार रुपये किए
आइसीआइसीआइ बैंक ने कहा है कि महानगरों और शहरी क्षेत्रों के जिन ग्राहकों ने एक अगस्त या उसके बाद अपने बचत खाते खोले हैं, उन्हें जुर्माने से बचने के लिए 50,000 रुपये का मासिक औसत शेष बनाए रखना होगा। वृद्ध ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत शेष राशि 10,000 रुपये ही रहेगी।
अर्ध-शहरी इलाकों में नए ग्राहकों को 25,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों को 10,000 रुपये का न्यूनतम औसत बैलेंस रखना अनिवार्य होगा। जो ग्राहक न्यूनतम औसत बैलेंस नहीं रखेंगे, उन पर शेष राशि का छह प्रतिशत या 500 रुपये (जो भी कम हो) का जुर्माना लगाया जाएगा।
सैलरी अकाउंट, प्रधानमंत्री जनधन खाते और बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट धारकों को इस नियम से छूट मिलेगी क्योंकि ये जीरो बैलेंस खाते हैं।
जिन ग्राहकों के खाते में तय सीमा से ज्यादा राशि होगी, उन्हें कुछ खास सुविधाएं मिलेंगी। इनमें मुफ्त एनईएफटी धन हस्तांतरण और महीने में तीन बार मुफ्त नकद लेनदेन शामिल हैं। इसके बाद हर नकद लेनदेन पर 150 रुपये का शुल्क लगेगा। इन सभी शुल्कों पर जीएसटी भी देना होगा।
नए युग में सफलता के लिए डिजिटल साक्षरता जरूरी
मल्होत्रा ने कार्यक्रम में कहा कि नए युग में सफलता के लिए डिजिटल साक्षरता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'पहले कहा जाता था कि अगर आप पढ़ाई नहीं करेंगे, तो आप तरक्की नहीं कर पाएंगे। आज के युग में डिजिटल साक्षरता के लिए भी यही बात लागू होती है। अगर आपके पास डिजिटल साक्षरता नहीं है, तो आप प्रगति नहीं कर पाएंगे।'
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि जो भी फैसले लिए जाएं, उनका फायदा समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना लगभग 10-11 साल पहले इसी उद्देश्य से शुरू की गई थी, ताकि सभी को बैं¨कग सेवाओं तक पहुंच मिल सके। बैंक आफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ देवदत्त चंद ने इस कार्यक्रम में कहा कि जन-धन खातों के लिए 'अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) को नियमित रूप से अद्यतन करना जरूरी है।
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