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    SIR के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई, कल ही हुआ था तारीखों का एलान

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 08:07 AM (IST)

    बिहार में चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट आज मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम बहस सुनेगा। चुनाव आयोग ने एसआईआर की प्रक्रिया पूरी कर ली है जिसके अंतर्गत अंतिम मतदाता सूची में 7.43 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं और 14 लाख लोग पहली बार मतदाता बने हैं।

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    SIR के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में चुनावी तारीखों का एलान सोमवार को हो गया। इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता लग गई। बिहार में SIR की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनावी तारीखों का एलान किया गया है। एसआईआर के मामले पर कई विवाद हुए, इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

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    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को सही ठहराया, लेकिन इसके साथ ही कई निर्देश भी दिए। वहीं, आज यानी मंगलवार को बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर अंतिम बहस सुनेगा।

    SIR के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

    न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने पहले भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। चूंकि चुनाव आयोग ने तर्क दिया था कि इस मामले पर 1 अक्टूबर को संशोधित मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद ही विचार किया जाना चाहिए।

    अब ECI ने एसआईआर की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जिसके अंतर्गत अंतिम मतदाता सूची में 7.43 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं और 14 लाख लोग पहली बार मतदाता बने हैं।

    SIR की प्रक्रिया पर कई लोगों ने जताई चिंता

    बता दें कि गैर सरकारी संगठन एशोसियएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में एसआईआर की प्रक्रिया की वैधता और पार्दर्शिता पर चिंता जताई थी।

    एडीआर ने दी थी ये दलील

    बता दें कि एडीआर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मतदाता अधिकारों के संभावित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देते हुए अदालत से अंतिम सूची प्रकाशित होने से पहले मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया था।

    इस सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतिम सूची के प्रकाशन से न्यायिक समीक्षा में कोई बाधा नहीं आएगी। पीठ ने यह भी कहा कि यदि कोई अवैधता पाई जाती है, तो वह प्रकाशन के बाद भी, हस्तक्षेप करेगी। (समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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