'बड़े पैमाने पर लोग मतदाता सूची से बाहर हुए तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा,' SC का साफ निर्देश; सुनवाई की तारीख की तय
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण अभियान जारी रहेगा और चुनाव आयोग तय समय पर काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और कानून के अनुसार काम करेगी। कोर्ट ने मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की न्यायिक निगरानी करने की बात कही।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में मंगलवार को यह स्पष्ट हो गया कि बिहार में चल रहा मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान जारी रहेगा और चुनाव आयोग तय शिड्यूल के मुताबिक काम करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और यह माना जाएगा कि वह कानून के अनुसार काम करेगी। इससे साफ हो गया है कि SIR के तय शिड्यूल के मुताबिक ही एक अगस्त को मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित होगा।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की न्यायिक निगरानी कर रहा है। और ये भी कहा कि अगर मतदाता सूची से बड़ी संख्या में लोग बाहर हो गए तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा।
नियमित सुनवाई के लिए तिथि तय
इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नियमित सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त की तिथि तय कर दी है। ये मौखिक टिप्पणियां मंगलवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नियमित सुनवाई की रूप रेखा तय करते हुए कीं।
सोमवार को कोर्ट ने मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण की चल रही प्रक्रिया पर रोक लगाने और मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित करने पर रोक से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह अंतरिम आदेश नहीं जारी करेगा बल्कि, जल्दी ही मामले पर विस्तृत और फाइनल सुनवाई करेगा।
SC में लंबित हैं कई याचिकाएं
कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा था कि वह मंगलवार को कोर्ट में अपनी बहस में लगने वाले समय का ब्योरा दें ताकि कोर्ट मामले पर नियमित सुनवाई की तारीखें तय कर सके। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है और इस पर रोक लगाने की मांग की गई है।
कोर्ट ने निर्देश पर मंगलवार को सभी पक्षकारों याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग की ओर से वकील पेश हुए और उन्होंने बहस में लगने वाले समय की संभावित टाइमलाइन पेश की।
इसी दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने बड़ी संख्या में मतदाताओं के मतदाता सूची से बाहर होने की आशंका जताई। भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग के जारी बयान के मुताबिक 65 लाख लोगों ने मतदाता सूची में शामिल होने के लिए गणना फार्म नहीं भरा है, ये लोग या तो जीवित नहीं हैं या फिर स्थाई रूप से कहीं और शिफ्ट हो गये हैं।
पीठ ने कहा- चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है
भूषण ने कहा कि अब लोगों को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए नये सिरे से आवेदन करना होगा। सिब्बल ने जब चुनाव आयोग पर पूरी जानकारी न देने की बात कही। तो पीठ के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव आयोग की जारी अधिसूचना और आदेश में सब कुछ दिया गया है। चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और ये माना जाएगा कि वह कानून के मुताबिक काम करेगी।
पीठ ने कहा कि अगर कोई गड़बड़ होती है तो याचिकाकर्ता कोर्ट आ सकते हैं कोर्ट उन्हें सुनेगा। पीठ ने कहा कि आपकी आशंका है कि 65 लाख लोग मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित हो जाएंगे। लेकिन ये अभी प्रारूप सूची है। चुनाव आयोग आपत्तियां और सुधार का मौका दे रहा है। कोर्ट मामले की न्यायिक निगरानी कर रहा है। अगर बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर होंगे तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा।
कोर्ट ने नोडल वकील किए नियुक्त
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि एक अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित हो जाएगी आप उसे देखकर ऐसे लोगों को चिन्हित करके कोर्ट को बताइयेगा जिन्हें मृत बताया गया है और वे लोग जीवित हैं। कोर्ट विचार करेगा।
इसके बाद कोर्ट ने मामले पर नियमित सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त तय करते हुए सभी पक्षकारों से और चुनाव आयोग से आठ अगस्त तक लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के लिए समग्र कंपाइलेशन आदि तैयार करने के लिए दोनों पक्षों की ओर से एक एक वकील को नोडल वकील नियुक्त किया।
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