विमल नेगी मौत मामले की जांच कर रहे CBI अधिकारी फर्जी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने विमल नेगी की मौत की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी को फर्जी करार दिया है। अदालत के अनुसार, अधिकारी की नियुक्ति वैध नहीं थी, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है। पीड़ित परिवार इस फैसले से चिंतित है, क्योंकि उन्हें न्याय मिलने में देरी होने की आशंका है। सीबीआई को अब नए सिरे से जांच करनी पड़ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट, (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआइ को कड़ी फटकार लगाते हुए हिमाचल प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के अधिकारी विमल नेगी की मौत के मामले की जांच कर रहे इस एजेंसी के कुछ अधिकारियों की क्षमता पर सवाल उठाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हें 'पूरी तरह फर्जी अधिकारी करार' देते हुए कहा कि ऐसे अधिकारी सेवा में रहने लायक नहीं हैं।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने देशराज नामक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
'यह सीबीआई के लिए दुखद...'
पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा, 'जांचकर्ता कौन है, जो सवाल पूछ रहा है? यह बचकाना है। मैं इस जांचकर्ता पर टिप्पणी करने जा रहा हूं। अगर वह एक वरिष्ठ अधिकारी है, तो यह सीबीआइ के लिए बहुत दुखद बात है। सीबीआइ में किस तरह के अधिकारी हैं। बिल्कुल फर्जी अधिकारी। सेवा में रहने के योग्य नहीं। इससे कुछ नहीं निकलता, बेकार का दस्तावेज है।'
किन आरोपों से संबंधित है ये मामला?
यह मामला उन आरोपों से संबंधित है कि एचपीपीसीएल के निदेशक देशराज ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर विमल नेगी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था।
नेगी के परिवार के लोगों ने आरोप लगाया कि इसी के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। शीर्ष अदालत ने देशराज को अग्रिम जमानत देते हुए सीबीआइ के रुख पर सवाल उठाया। सीबीआइ ने दावा किया कि आरोपित ने जांच में सहयोग नहीं और आरोपों से इनकार किया।

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