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    Modi Cabinet: किसानों के लिए एक लाख करोड़ की योजनाएं मंजूर, जानिए कैसे मिलेगा लाभ

    Updated: Mon, 07 Oct 2024 11:04 PM (IST)

    Modi Cabinet Decision On Farmers केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कृषि मंत्रालय के तहत सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को दो प्रमुख योजनाओं - प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना (केवाई) में सुव्यवस्थित करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह भारतीय कृषि जगत के लिए एक बड़ा निर्णय है।

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    केंद्र सरकार ने कृषि से संबंधित दो योजनाओं को मंजूरी दी है। (File Photo)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों की आमदनी बढ़ाने और मध्यम वर्ग के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने का बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने कृषि से संबंधित दो योजनाओं को मंजूरी दी है। राज्यों के साथ मिलकर केंद्र इन पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करेगी। इसमें पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये एवं कृषोन्नति योजना (केवाई) के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।

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    दो कृषि योजनाएं

    कैबिनेट की बैठक के बाद गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दोनों कृषि योजनाओं (कृषि विकास योजना और कृषोन्नति योजना) पर कुल प्रस्तावित व्यय में केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये होगा। राज्यों का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये होगा।

    खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता

    राशि का व्यय राज्य सरकारों के माध्यम से होगा। इस राशि से राज्य अपनी जरूरत के अनुरूप योजना बना सकेंगे। पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से सीमित प्राकृतिक संसाधनों के जरिये कृषि की निरंतरता कायम की जाएगी। साथ ही कृषोन्नति योजना से खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल की जाएगी।

    कृषोन्नति योजना

    कैबिनेट ने तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए 10,103 करोड़ रुपये के नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल योजना को मंजूरी दी है। यह कृषोन्नति योजना के तहत आने वाली स्वीकृत नौ योजनाओं में से एक है। इसके तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2031 तक खाद्य तेलों का उत्पादन 1.27 करोड़ टन से बढ़ाकर दो करोड़ टन करना है।

    उत्पादकता में वृद्धि

    तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में केंद्र की यह बड़ी पहल है, जिसे अगले सात वर्षों में लागू किया जाएगा। इसके तहत उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि की जाएगी। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के चलते इसे मिशन मोड में पूरा किया जाएगा।

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