कूनो नेशनल पार्क में तेंदुए ने ज्वाला चीता के शावक को मार डाला, कुछ समय पहले ही हुआ था मां से अलग
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के तीन साल पूरे होने से पहले एक दुखद घटना घटी। तेंदुए ने ज्वाला चीता के एक शावक को मार डाला। शावक को उसकी मां के साथ जंगल में छोड़ा गया था लेकिन कुछ समय पहले वह उनसे अलग हो गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मौत का सही कारण पता चलेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में चीता प्रोजेक्ट के 17 सितंबर को तीन साल पूरे होने से ठीक पहले मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में पहली बार तेंदुए और चीते में संघर्ष की घटना सामने आई है। इसमें तेंदुए ने ज्वाला चीता के शावक को मार डाला।
सोमवार की शाम करीब साढ़े छह बजे शावक मृत अवस्था में पाया गया। गौरतलब है कि शावक को 21 फरवरी, 2025 को उसकी मां ज्वाला और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में छोड़ा गया था। कुछ सप्ताह पहले वह अपनी मां से अलग हो गया और हाल ही में उसने अपने भाई-बहनों का साथ भी छोड़ दिया था।
पोस्टमार्टम के बाद होगी पुष्टि
सीसीएफ सिंह परियोजना उत्तम कुमार शर्मा का कहना है कि ज्वाला का यह शावक अब स्वतंत्र रूप से रह रहा था। मौत का प्रारंभिक कारण तेंदुए से संघर्ष सामने आया है। हालांकि, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही होगी।
कूनो में हैं 25 चीते
बता दें कि कूनो में वर्तमान में कुल 25 चीते हैं, जिनमें नौ वयस्क (छह मादा और तीन नर) तथा 16 भारतीय मूल के चीते शामिल हैं। दो चीते मंदसौर के गांधीसागर अभयारण्य में है। कूनो में इससे पहले भी चीतों और शावकों की मौत हो चुकी है, परंतु तेंदुए से हमले से मौत की यह पहली घटना है। कूनो से लेकर मुरैना सीमा के जंगल में काफी संख्या में तेंदुए हैं। प्रोजेक्ट की शुरुआत में चीतों के लिए बनाए गए बाड़ों से तेंदुओं को हटाया भी गया था।
हालांकि, जंगल में चीता को छोड़ने के बाद इनकी निगरानी की जा रही थी। चीता परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि सघन निगरानी की जाएगी ताकि ऐसी घटनाओं को समझा जा सके और भविष्य की रणनीति तय हो सके।
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