मुंबई: 34 साल पहले 60 परिवारों से हुई शुरुआत, आज जुहू तट छठ पूजा उत्सव में अब जुटते हैं लाखों
मुंबई में छठ पूजा की शुरुआत 34 साल पहले जुहू तट पर 60 परिवारों के साथ हुई थी। जहाँ अब लाखों लोग आते हैं। भाजपा नेता रामदास नायक ने मोहन मिश्र को यह आयोजन शुरू करने की सलाह दी थी। धीरे-धीरे, इस आयोजन में कई नेता और सेलेब्रिटी शामिल होने लगे। अब मुंबई और ठाणे में 83 स्थानों पर छठ पूजा होती है।

मुंबई: 34 साल पहले 60 परिवारों से हुई शुरुआत (फाइल फोटो जागरण)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। छठ पूजा सामूहिक रूप से आज पूरे देश में मनाई जाने लगी है। लेकिन इसकी शुरुआत 34 साल पहले मुंबई के जुहू तट पर सिर्फ 60 परिवारों से हुई थी। आज यह एक सामाजिक उत्सव से आगे बढ़कर बिहारियों के राजनीतिक रसूख का भी प्रतीक बन गया है।
आज मुंबई के जुहू स्थित समुद्री तट पर अलग-अलग चार संगठनों द्वारा जब छठ पूजा का आयोजन किया जाता है, और वहां लाखों की भीड़ जुटती है, तो सभी राजनीतिक दलों को उनमें एक बड़ा ‘वोटबैंक’ भी नजर आता है। क्योंकि सिर्फ मुंबई और ठाणे में ही बिहार मूल के 10 से 12 लाख लोग रहते हैं। जल्दी ही होनेवाले स्थानीय निकाय चुनावों में ये जिधर घूम जाएं, उसकी नैया पार लगा सकते हैं।
ये अहसास भारतीय जनता पार्टी जैसे राजनीतिक दल को 34 वर्ष पहले ही हो गया था, जब मुंबई भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष रामदास नायक ने उस समय अपने एक बिहारी कार्यकर्ता मोहन मिश्र को कोई ऐसा आयोजन करने की सलाह दी थी, जिसमें बड़ी संख्या में बिहारियों को जुटाया जा सके। तब 1992 में पहली बार जुहू के समुद्री तट पर मोहन मिश्र ने पहली बार बिहार के 60 परिवारों को जुटाकर पहली बार सामूहिक छठ पूजा की शुरुआत की थी।
पुलिस वालों ने किया था परेशान
मिश्र बताते हैं कि तब यह भी आसान नहीं था। क्योंकि उस समय जुहू तट पर पर्यटकों को घोड़े और बग्घी वालों ने तो परेशान किया ही, पुलिस ने आकर बांस और तंबू भी उखाड़ फेंका था। लेकिन मोहन मिश्र ने हार नहीं मानी। वर्ष दर वर्ष जुहू तट पर पूजा के लिए जुटनेवाले परिवारों के लिए शुद्ध पेयजल, वड़ा पाव, शौचालय और पूजा के लिए आई महिलाओं के वस्त्र बदलने के केबिन तक का इंतजाम करते रहे।
धीरे-धीरे आने लगे सेलीब्रिटी
1997 में एस्कॉन मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी की व्यवस्था भी गई। छठ पूजा व्रतियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 1997 से ही तब शिवसेना में रहे नेता संजय निरुपम ने बिहार फ्रंट बनाकर जुहू पर ही एक और पूजा की शुरुआत कर दी। धीरे-धीरे इन आयोजनों में उदित नारायण, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे सेलीब्रिटी और सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव जैसे नेताओं का आगमन भी होने लगा।
उच्चन्यायालय ने लगाया था प्रतिबंध
2004 में कुछ विवाद के कारण जब उच्चन्यायालय ने इन आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया, तो तत्कालीन भाजपा नेता अरुण जेटली ने उसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर न सिर्फ वह प्रतिबंध हटवाया, बल्कि वहीं से सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई में इस उत्सव की जिम्मेदारी राज्य सरकार को करने के निर्देश दे दिए। तब सरकार संप्रग की थी, और गृहमंत्री आर.आर.पाटिल थे।
2005 में पाटिल ने जुहू तट पर व्यवस्था संभालने के लिए न सिर्फ 1000 पुलिसकर्मी तैनात किए, बल्कि वह स्वयं एवं राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल भी जुहू तट के आयोजन में शामिल होने पहुंचे। फिर तो सामूहिक छठ पूजा में राजनेताओं के आने का सिलसिला ही चल पड़ा। 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक देवेंद्र फडणवीस हर साल छठ मैया का आशीर्वाद लेने जुहू की पूजा में पहुंचते हैं।
83 जगहों पर सामुहिक छठ पूजा
मोहन मिश्र बताते हैं कि अब मुंबई और ठाणे में 83 स्थानों पर सामूहिक छठ पूजा का आयोजन होता है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इस वर्ष यह संख्या और बढ़ाने की योजना भी है। इन सभी आयोजनों को संगठित रूप प्रदान करने के लिए 2004 में ही छठ उत्सव महासंघ की स्थापना की गई, जिसमें 14 आयोजन समितियां शामिल हैं। संगठन की शक्ति का ही कमाल है कि इस वर्ष मुंबई के प्रभारी मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा न सिर्फ स्वयं घूम-घूमकर छठ पूजा आयोजनों की तैयारियों का निरीक्षण कर रहे हैं, बल्कि इन आयोजनों को महाराष्ट्र में प्रमुखता से मनाए जानेवाले गणेशोत्सव जैसी सुविधाएं एवं अनुमतियां भी प्रदान करने के निर्देश प्रशासन को दे रहे हैं।

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