छत्तीसगढ़ में मतांतरण रोकने को ग्रामीणों ने की पहल, बस्तर के गांवों में मिशनरियों के एंट्री पर लगाई रोक
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ग्रामीणों ने मतांतरण रोकने के लिए मिशनरियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। सिड़मुर गांव में मंदिर के पास बोर्ड लगाया गया है। ग्रामीणों ने अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करने का संकल्प लिया है। मतांतरित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है और शवों को दफनाने पर भी रोक है। कई परिवारों ने सनातन धर्म में वापसी की है।

छत्तीसगढ़ में मतांतरण रोकने को ग्रामीणों ने की पहल। (प्रतीकात्मक)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के सिड़मुर गांव के सुंदरादेवी मंदिर के पास लगाए गए बोर्ड पर साफ-साफ लिखा है कि यहां पास्टर और पादरी का प्रवेश सख्त मना है। बोर्ड पर लिखी यह चेतावनी बस्तर के गांव में हो रहे मतांतरण के विरुद्ध ग्रामीणों में पनपते जनाक्रोश को बताती है।
भतरा जनजातीय बहुल इस गांव में चार दिन पहले हुई सामाजिक बैठक में एकमत होकर ईसाई मिशनरियों और उनसे जुड़े लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। करीब 270 परिवारों के इस गांव में ग्रामीणों ने कहा अब हमारी संस्कृति, परंपरा और देवगुड़ियों की रक्षा हम खुद करेंगे।
यूं ही चलता रहा तो बस्तर की हजारों साल पुरानी संस्कृति मिट जाएगी- ग्रामीण
गांव के बुजुर्ग पाकलुराम भारती के शब्दों में, अगर यह चलन यूं ही चलता रहा तो बस्तर की हजारों साल पुरानी संस्कृति मिट जाएगी। गांव के लोगों का कहना है कि अब तक केवल सात-आठ परिवार मतांतरित हुए हैं लेकिन वे आने वाले समय के खतरे को भांप चुके हैं। जिन गांवों में 60-70 परिवार तक मतांतरित हो चुके हैं वहां तो सामाजिक विभाजन और तनाव आम बात हो गई है।
ग्रामीणों ने किया सामाजिक बहिष्कार
कुछ वर्ष पहले मतांतरित हुए गांव के बलराम कश्यप बताते हैं कि मां कुष्ठ रोग से पीड़ित थीं, पादरी ने कहा था प्रार्थना से ठीक हो जाएंगी। बीमारी तो नहीं गई, पर अब पूरा परिवार मतांतरित हो गया। बलराम के घर के आंगन में बना पक्का चर्च गांव में विवाद का केंद्र बन गया है। हाल ही में ग्राम सभा के निर्णय के बाद उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। तीन दिनों से उनकी दुकान पर कोई ग्राहक नहीं आया। इसके अलावा गांव की सीमा में अब मतांतरित परिवारों के शवों के दफनाने तक पर रोक लगा दी गई है।
एक ही परिवार के 8 लोगों ने की घर वापसी
कांकेर जिले के 13 गांवों में भी इसी तरह के प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। इधर, बस्तर में घर वापसी की पहल गति पकड़ रही है। सिड़मुर से लगे अलनार गांव में शनिवार को 25 वर्ष पहले मतांतरित हुए एक परिवार के आठ सदस्यों ने सनातन धर्म में वापसी की।
आंदोलन किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि संस्कृति की अस्मिता के पक्ष में
राजाराम तोड़ेम, प्रांतीय अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, का कहना है कि जनजातीय समाज जाग चुका है। अब गांव खुद निर्णय ले रहे हैं कि कौन उनके बीच आ सकता है और कौन नहीं। यह आंदोलन किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि संस्कृति की अस्मिता के पक्ष में है।
झारखंड में एक परिवार के आठ सदस्यों की ईसाई से सनातन धर्म में वापसी
झारखंड के गढ़वा जिले के फतूटांड़ टोला में रविवार को एक परिवार के आठ लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर सनातन धर्म में वापसी की। घर वापसी करने वाले गजेंद्र मुंडा व उनके परिवार के आठ सदस्यों को छठ महापर्व के अवसर पर पंडित विपिन मिश्रा ने सत्यनारायण कथा सुनाकर सनातन धर्म में वापसी कराई।
घर वापसी के बाद मुंडा परिवार को अग्निवीर संस्था की ओर से साड़ी, कंबल व पूजन सामग्री प्रदान की गई। इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी भी मौजूद थे। गजेंद्र मुंडा के पिता स्वर्गीय बटेश्वर मुंडा ने 21 वर्ष पहले 2004 में मतांतरण कर ईसाई धर्म अपना लिया था।

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