चीन का भारत से उर्वरक और रेअर अर्थ आपूर्ति फिर शुरू करने का वादा, जयशंकर के साथ मुलाकात में वांग यी ने भरी हामी
चीन ने भारत की तीन महत्वपूर्ण आर्थिक मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। इनमें उर्वरक आपूर्ति में बाधाओं को दूर करना रेअर अर्थ मैग्नेट का आयात शुरू करना और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए टनेल बोरिंग मशीनें शामिल हैं। वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को यह आश्वासन दिया।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन ने भारत की तीन प्रमुख मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। ये तीनों मांगे आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। इसमें भारत को चीन से उर्वरक आपूर्ति में आ रही बाधाओं को समाप्त करने के साथ ही रेअर अर्थ मैग्नेट व इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए जरूरी टनेल बोरिंग मशीन के आयात को शुरू करना शामिल है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी की तरफ से यह आश्वासन सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर को दिया गया। दोनो विदेश मंत्रियों की अगुवाई में भारत व चीन की बैठक नई दिल्ली में हुई थी। वांग यी मंगलवार को एनएसए अजीत डोभाल के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में हिस्सा लेंगे।
चीन ने निर्यात को लेकर अपनाई कठोर नीति
अमेरिका की ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल, 2025 में जब चीन व भारत समेत दुनिया के कई देशों के आयात पर रोक लगाने का एलान किया था तब चीन ने भी अपने निर्यात को लेकर कठोर नीति अपनानी शुरू कर दी थी। चीन ने सबसे पहले रेअर अर्थ मैग्नेट व कुछ अन्य दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर पाबंदी लगाई और उसके बाद बड़ी मशीनरियों के निर्यात को भी सीमित कर दिया। इस बीच उर्वरक निर्यात को लेकर भी चीन ने अपने निर्यातकों को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया जिसका सबसे ज्यादा असर भारत पर हुआ है।
इन चीजों के लिए चीन पर निर्भर है भारत
भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियां रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति पर तकरीबन पूरी तरह से चीन पर निर्भर हैं। इसी तरह से भारत में काफी तेजी से सुरंग खुदाई आदि का काम चल रहा है जो सड़क, हवाई अड्डे, ओवरब्रिज आदि से जुड़ी परियोजनाओं का हिस्सा है। इनके लिए भारी मशीनरी के लिए हम पूुरी तरह से चीन पर निर्भर हैं। इनकी आपूर्ति बाधित होने से भारत की ढांचागत परियोजनाओं पर भी असर पड़ने की आशंका है। इन सब वजहों से भारत सरकार लगातार चीन से आग्रह कर रही थी कि वह इन उत्पादों की आपूर्ति को बाधित नहीं करे।
चीन ने अपने रुख में किया बदलाव
सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय पहले भी कई बार उक्त मुद्दे को चीन के समक्ष उठा चुका है। सोमवार की बैठक में भी उठाया गया। इस पर चीन की तरफ से भारतीय पक्ष को बताया गया कि हम उक्त तीनों कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय अधिकारी इसे चीन के रूख में बदलाव के तौर पर देख रहे हैं।
पीएम मोदी-शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार
बताते चलें कि अप्रैल-मई, 2020 में भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के सैनिकों की घुसपैठ के बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी तल्ख हो गये थे। अक्टूबर, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच कजान (रूस) में हुई मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार हो रहा है। उसके बाद चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए मानसवोर जाने का रास्ता खोला है। भारत ने चीन के नागरिकों को वीजा देना शुरू कर दिया है।
क्यों बढ़ीं भारत-चीन की नजदीकियां?
दोनों विदेश मंत्रियों की तीन बार मुलाकात हो चुकी है। पीएम मोदी इस महीन के अंत में चीन जाने की तैयारी में हैं। कई जानकार मानते हैं कि जिस तरह से ट्रंप प्रशासन ने शुल्क के मुद्दे पर भारत पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है, उसके बाद भारत व चीन के बीच संपर्क बढ़ गया है।
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