Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'अगर सामान खरीदना है तो ये काम करना होगा...', व्यापार के नाम पर चीन रच रहा गहरी साजिश! क्या है ड्रैगन का प्लान?

    Updated: Mon, 02 Jun 2025 10:43 PM (IST)

    चीन द्वारा दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर लगाए गए नए नियमों से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग पर असर पड़ सकता है। इन नियमों के अनुसार आयातकों को यह प्रमाणित करना होगा कि धातुओं का सैन्य उपयोग नहीं होगा जिससे ऑटोमोबाइल कंपनियों के उत्पादन में बाधा आ सकती है। भारत सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया गया है।

    Hero Image
    चीन ने दुर्लभ धातुओं के निर्यात को लेकर बनाए नियम।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन ने दुर्लभ धातुओं के निर्यात को लेकर जो नए नियम लागू किए हैं, उससे भारत के कारोबारी हितों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। नए नियमों के मुताबिक, चीन से दुर्लभ धातुओं का आयात करने वाली कंपनियों या एजेंसियों को इस बात का सर्टिफिकेट देना होगा कि इसका कोई सैन्य इस्तेमाल नहीं होगा। भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सरकार से कहा है कि वह चीन के साथ बात करके, इस मुद्दे का समाधान निकालें नहीं तो अगले एक-दो महीने बाद भारत में वाहनों का निर्माण करना मुश्किल होगा। समस्या यह है कि भारत और चीन के बीच कारोबारी मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत करने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह हाल तब है जब चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है।

    भारत सबसे ज्यादा कच्चे माल व उत्पादों का आयात चीन से करता है, लेकिन जैसे भारत अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ या यूएई जैसे बड़े कारोबारी साझेदारों के साथ लगातार वाणिज्य मंत्रालय व वित्त मंत्रालय के स्तर पर बात करता रहता है, वैसा चीन के साथ नहीं होता है। दोनों देशों में कारोबार से जुड़े मुद्दे पर वर्ष 2019 में अंतिम वार्ता हुई थी।

    ऐसे में चिंतित उद्योग जगत ने अपनी बात भारत सरकार के संबंधित विभागों तक पहुंचाई है, लेकिन उद्योग जगत कोई समाधान निकलता नहीं देख ¨चतित भी है। इस बीच, भारतीय आटोमोबाइल सेक्टर के दो सबसे बड़े संगठन सोसायटी आफ आटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्रस आफ इंडिया (सियाम) और आटोमोटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चर्रस एसोसिएशन आफ इंडिया (एक्मा) का एक दल समस्याओं के साथ चीन जाने की तैयारी में है।

    चीन ने सिर्फ कारोबारी बाधा पैदा करने के लिए बनाए इस तरह के नियम

    चीन ने चार अप्रैल, 2025 को छह ऐसे दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी, जिनकी 90 प्रतिशत से ज्यादा वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। इनमें से एक मैग्नेट धातु है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर की आटोमोबाइल कंपनियां करती हैं। चीन का नियम कहता है कि इन धातुओं का आयात करने वाली कंपनियों को अपनी सरकार से सत्यापित करके यह प्रमाण देना होगा कि उनका इस्तेमाल सैन्य क्षेत्र में नहीं होगा। फिर इस सत्यापन का प्रमाणीकरण चीन की सरकारी एजेंसी करेंगी।

    जबकि आटोमोबाइल कंपनियां बता रही हैं कि चीन में भी यह स्पष्ट नहीं है कि वहां की कौन सी सरकारी एजेंसी इस नए नियम का प्रमाणीकरण करेगी। ऐसा लगता है कि चीन ने सिर्फ कारोबारी बाधा पैदा करने के लिए उक्त नियम बनाए हैं। वैसे भारत की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने कहा है कि चीन के नए नियम का उसके उत्पादन पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ने जा रहा लेकिन कंपनी लगातार सरकार के साथ संपर्क में है क्योंकि इस बारे में सरकार को ही अहम कदम उठाने हैं।

    हम वाणिज्य और विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में हैं। हम समग्र तौर पर चीन के दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं ताकि एक देश के पर किसी भी तरह के उत्पाद या कच्चे माल के लिए निर्भर नहीं रहना पड़े। हम उद्योग जगत के साथ भी लगातार संपर्क में हैं कि किस तरह से सप्लाई चेन से जुड़ी बाधाओं को लेकर कोई दीर्घावधि योजना बनाया जा सके।-एचडी कुमारस्वामी, भारी उद्योग मंत्री