'टीडीएस व्यवस्था को तर्कसंगत बनाए केंद्र सरकार', CII ने की अपील; क्या है वजह?
उद्योग संगठन सीआईआई ने आगामी बजट के लिए सरकार को कई सिफारिशें दी हैं। इनमें 100 करोड़ से अधिक के कर मामलों का एक वर्ष में समाधान और टीडीएस व्यवस्था को तर्कसंगत बनाना शामिल है। सीआईआई ने जीएसटी 2.0 की सफलता का हवाला देते हुए कर सुधारों में सरलीकरण और डिजिटलीकरण पर जोर दिया है, जिससे राजस्व में वृद्धि और निवेश को बढ़ावा मिल सके।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट के लिए उद्योग संगठन सीआईआई ने कई सिफारिशें दी हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों ने राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव से मुलाकात कर 100 करोड़ रुपये से अधिक मांग वाले कर मामलों का एक वर्ष के भीतर समाधान सुनिश्चित करने और टीडीएस व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने की अपील की।
उद्योग संगठन ने कहा कि जीएसटी 2.0 की सफलता यह दर्शाती है कि नियमों के अनुपालन के साथ प्रगति की जा सकती है। सीआईआई ने 2028 तक कागज-मुक्त सीमा शुल्क की दिशा में एक चरणबद्ध रोडमैप भी प्रस्तावित किया है, जिसमें ई-रिफंड, ई-निर्णय और ई-अपील शामिल हैं। उद्योग संगठन ने भारत के टैरिफ ढांचे को लगातार तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया।
पांच लाख से ज्यादा अपीलें लंबित
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'सुधार के अगले चरण में यह सुनिश्चित करना होगा कि कराधान न केवल कुशलतापूर्वक राजस्व बढ़ाए, बल्कि निवेश, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए उत्प्रेरक का काम भी करे। बजट वास्तव में आधुनिक, पारदर्शी और वैश्विक स्तर पर मानकीकृत कर व्यवस्था की धुरी बन सकता है।'
सीआईआई ने कहा कि आयुक्त (अपील) के समक्ष पांच लाख से ज्यादा अपीलें लंबित हैं, जिनमें लगभग अठारह लाख करोड़ रुपये की विवादित मांग शामिल है। सीआईआई ने जोर देकर कहा कि कर सुधारों का मुख्य सिद्धांत सरलीकरण, और डिजिटलीकरण होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तकनीक और विश्वास पर आधारित एक आधुनिक प्रणाली कर आधार का विस्तार करेगी, अनुपालन में सुधार करेगी और उत्पादक पूंजी निवेश के लिए राजकोषीय गुंजाइश पैदा करेगी।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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