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    सुप्रीम कोर्ट में जूताकांड के दो दिन बाद CJI गवई ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'जो मेरे साथ हुआ उससे...'

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 05:23 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में वकील द्वारा जूता उछाले जाने की घटना के बाद, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि वे और उनके सहयोगी स्तब्ध हैं, लेकिन अब यह एक भूला हुआ अध्याय है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने घटना की निंदा की और मुख्य न्यायाधीश की उदारता की सराहना की। पीएम मोदी ने भी इस कृत्य को निंदनीय बताया।

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    सुप्रीम कोर्ट में जूताकांड के दो दिन बाद CJI गवई ने तोड़ी चुप्पी (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर ने जूता उछाला। जूते से हुए हमले पर सीजेआई बीआर गवई ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि सोमवार को जो हुआ उससे मैं और मेरे विद्वान भाई बहुत स्तब्ध हैं। हमारे लिए यह एक भुला हुआ अध्याय है।

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    दरअसल, यह घटना सोमवार को उस वक्त घटी जब मुख्य न्यायाधीश गवई कोर्ट नंबर 1 में उस दिन के पहले मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान राकेश किशोर नामक वकील ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को जारी किए गए प्रॉक्सिमिटी कार्ड का इस्तेमाल करते हुए अचानक अपना जूता निकालाकर बेंच की ओर फेंक दिया और चिल्लाया, "सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।"

    हंगामे के बाद भी शांत रहें न्यायधीश

    हालांकि, गनीमत रही कि जूता बेंच से थोड़ा नीचे गिरा। इस दौरान कोर्ट के सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उस व्यक्ति (वकील) को काबू में किया और बाहर ले गए। इस घटना के दौरान कोर्ट में सन्नाटा छा गया। इस हंगामे के वाबजूद मुख्य न्यायाधीश शांत रहे और कार्यवाही जारी रखी।

    सीजेआई बीआर गवई ने अपने कर्मचारी को निर्देश देते हुए कहा कि मैं ऐसी चीज़ों से प्रभावित होने वाला आखिरी व्यक्ति हूं। उन्होंने कहा, "इस सब से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।"

    इस घटना के दो दिन बीत जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि सोमवार का जो हुआ उससे मैं स्तब्ध हूं। वहीं इस घटना की सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कड़ी निंदा की। तुषार घटना के दौरान वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा, यह अक्षम्य है, घटना को समाप्त मानने में मुख्य न्यायाधीश की "महानता और उदारता" "प्रशंसनीय" है।

    यह कोई मजाक की बात नहीं

    न्यायमूर्ति भुइयां ने इस घटना पर तीखी टिप्पणी करते हुआ कहा, "इस पर मेरे अपने विचार हैं। वह भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं - यह कोई मज़ाक की बात नहीं है। वर्षों से न्यायाधीशों के रूप में, हम कई ऐसे काम करते हैं जो दूसरों को उचित नहीं लगते, लेकिन इससे हमने जो किया उसके बारे में हमारी राय नहीं बदलती।"

    सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दर्ज कराई शिकायत

    गौरतलब है कि इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई औपचारिक शिकायत नहीं दर्ज कराई गई। दिल्ली पुलिस ने उसे रिहा करने से पहले कई घंटो तक अदालत परिसर में ही पूछताछ की। इस घटना के तुरंत बाद उसी दिन शाम को पीएम मोदी ने मुख्य न्यायाधीश से बात की और इस कृत्य को "बेहद निंदनीय" बताया।

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