'न्यायपालिका के पास किसी तलवार जैसी ताकत नहीं...', CJI बीआर गवई ने क्यों कहा ऐसा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका के पास कोई तलवार की ताकत नहीं है। न्यायपालिका का कार्य कानूनों की व्याख्या करना है, कार्यकारी शक्ति नहीं। न्यायपालिका की शक्ति जनता के विश्वास में निहित है। उन्होंने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों और स्वतंत्रता बनाए रखने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

देश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने महाराष्ट्र में बुधवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका देश के नागरिकों के कल्याण के लिए हैं और कोई भी इनको अलग-थलग नहीं कर सकता है।
दरअसल, देश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई मुंबई स्थित महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) परिसर में परियोजना आरंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत हमारे संविधान में निहित हैं।
'न्यायपालिका के पास कोई तलवार नहीं'
देश के सीजेआई ने कार्यक्रम में कहा कि न्यायपालिका के पास न तो तलवार की ताकत है और न ही शब्दों की। जब तक कार्यपालिका इसमें शामिल नहीं होती, न्यायपालिका के लिए न्यायपालिका के साथ-साथ कानूनी शिक्षा को पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करना मुश्किल है।
सीजेआई गवई का कहना है कि कानूनी शिक्षा अब अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ विकसित हो रही है और इसलिए बुनियादी ढाँचा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सीजेआई ने जमकर की देवेंद्र फडणवीस की तारीफ
इस कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई गवई ने उस आलोचना का भी खंडन किया, जिसमें न्यायपालिका के बुनियादी ढाँचे के मामले में महाराष्ट्र सरकार में कमी पाई जाने का दावा किया गया था। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत तथ्यों पर आधारित है।
सीजेआई गवई ने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के मामले में हमेशा सक्रिय रहने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सराहना की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में न्यायपालिका को प्रदान किया गया बुनियादी ढांचा सर्वश्रेष्ठ में से एक है।
'देश में विधि शिक्षा में आया बड़ा बदलाव'
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि विधि एक विकासशील और गतिशील शाखा है। विधि शिक्षा में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज हम जो बुनियादी ढाँचा प्रदान कर रहे हैं, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के बराबर है।
सीजेआई गवई ने आगे कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कहा करते थे कि एक वकील एक सामाजिक इंजीनियर भी होता है जो सामाजिक न्याय के वादे को साकार करता है।
सीएम फडणवीस ने कही ये बात
वहीं, इस कार्यक्रम को महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तीन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हैं और गवई इन विश्वविद्यालयों के निर्माण में बहुत सहायक रहे हैं।
महाराष्ट्र के सीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द एमएनएलयू को एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता मिल जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि नवी मुंबई में एडुसिटी शैक्षणिक केंद्र में विश्व के 12 सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय होंगे, जिनमें से सात दो से तीन वर्षों में अपने परिसर स्थापित कर लेंगे।

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