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    मोदी का राजनीतिक करियर खत्म करने की थी साजिश, तीस्ता सीतलवाड़, श्रीकुमार और संजीव भट्ट के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 01:05 AM (IST)

    Chargesheet Teesta Setalvad एसआइटी ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में फर्जी दस्तावेज बनाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजनीतिक करियर खत्म करने और उन्हें फांसी तक की सजा दिलाना चाहती थीं।

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    Chargesheet Teesta Setalvad: तीस्ता सीतलवाड़ मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करना चाहती थीं।

    शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। Chargesheet against Teesta Setalvad: गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में फर्जी दस्तावेज बनाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करने और उन्हें फांसी तक की सजा दिलाना चाहती थीं तीस्ता सीतलवाड़। इसके लिए वह अपने दो करीबी तत्कालीन आइपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ मिलकर फर्जी सुबूत तैयार कर रही थीं। वह तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष, एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कार्यकर्ता और दिल्ली के पत्रकारों के भी संपर्क में थीं।

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    छह हजार से अधिक पेज का आरोप पत्र

    विशेष जांच दल (एसआइटी) ने कोर्ट में दाखिल छह हजार से अधिक पेज के आरोप पत्र में यह बात कही है। वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले की जांच करने वाली अहमदाबाद पुलिस की एसआइटी के अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त बीवी सोलंकी ने बताया कि बुधवार को 6,300 पेज का आरोप पत्र मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट एमवी चौहान की कोर्ट में दाखिल किया गया।

    श्रीकुमार एवं संजीव भट्ट की मदद लेती थीं तीस्ता 

    इसमें तीस्ता, श्रीकुमार और भट्ट को आरोपित बनाया गया है। इसमें 90 गवाहों से पूछताछ की गई जिनमें कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल, पूर्व आइपीएस एवं अधिवक्ता राहुल शर्मा भी शामिल हैं। तीस्ता सीतलवाड़ फर्जी दस्तावेजों की सरकारी दस्तावेजों के रूप में अधिकारिक एंट्री के लिए अपने करीबी आइपीएस अधिकारी श्रीकुमार एवं संजीव भट्ट की मदद लेती थीं।

    दंगा पीडि़तों को धमकाते थे

    एसआइटी ने कहा है कि श्रीकुमार और संजीव भट्ट दंगा पीडि़तों के शपथ पत्र को सरकारी दस्तावेज के रूप में पुष्टि कराते थे। अगर कोई दंगा पीडि़त शपथ पत्र देने से आनाकानी करता तो उसका अपहरण कर धमकाने तथा उसे तीस्ता की बात मान लेने का दबाव डालते थे। पीडि़तों से यह भी कहा जाता था कि अगर वे दस्तावेज बनाने से मना करेंगे तो मुस्लिम समुदाय के दूसरे लोग उनके दुश्मन हो जाएंगे और हो सकता है कि वे आतंकवादियों के निशाने पर भी आ जाएं।

    पीडि़तों के नाम पर चंदा जुटाते थे

    अहमदाबाद के शाहपुर स्थित तीस्ता दफ्तर इनकी कारगुजारियों का अड्डा बन गया था। यहां तीस्ता और उनके साथी गुजरात सरकार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गुजरात को बदनाम करने की साजिशें रचा करते थे। दंगा पीडि़तों के फोटो व वीडियो के जरिए देश-विदेश से चंदा जुटाने का काम होता था। शपथ पत्र अंग्रेजी में तैयार होते थे जिसे पीडि़त पढ़ नहीं सकते थे। कोई उससे आनाकानी करता तो उसे बताया जाता है इससे नरेन्द्र मोदी को ही फायदा होगा।

    भट्ट ने दिल्ली के पत्रकार से पूछा पैकेट मिल गया क्या

    आरोप पत्र में तीस्ता की ओर से गुजरात के तत्कालीन नेता विपक्ष को मेल करने का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा दिल्ली के कई नामी पत्रकारों, गैरसरकारी संगठनों के कार्यकर्ता भी इनके संपर्क में थे। हिरासत में मौत के मामले में जेल में बंद पूर्व आइपीएस संजीव भट्ट ने दिल्ली के एक बड़े पत्रकार को मेल कर पूछा बताया कि उन्हें वह पैकेट मिल गया क्या, इस पत्रकार को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।  

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