'सभी मामलों में नहीं दे सकते CBI जांच का आदेश', इलाहाबाद HC के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें यूपी विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सभी मामलों के लिए सीबीआई जांच का आदेश नहीं दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शीर्ष न्यायालय ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों और खुद को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी मामले में सीबीआई जांच का आदेश देना अंतिम उपाय होना चाहिए, न कि इसे एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा बना लिया जाए।
इस टिप्पणी के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीबीआई जांच का सहारा तभी लिया जाना चाहिए, जब अन्य सभी विकल्प समाप्त हो जाएं और मामले की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हों।
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार को जस्टिस जे.के महेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें यूपी विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह आदेश संदेह और अनुमानों के आधार पर पारित किया था। अदालत ने मामले को पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया।
सभी मामलों में नहीं दिया जा सकता CBI जांच का आदेश
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस महेश्वरी ने फैसला लिखते हुए कहा कि यह सुव्यवस्थित विधि है कि उच्च न्यायालय या यह न्यायालय सीबीआई जांच का आदेश सामान्य रूप से नहीं दे सकते हैं। संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह एक असाधारण संवैधानिक शक्ति है। इसका उपयोग अत्यंत सावधानी और विवेक के साथ किया जाना चाहिए।
अपने फैसले के दौरान जस्टिस महेश्वरी ने आगे कहा कि केवल इसलिए कि किसी पक्ष को राज्य पुलिस पर संदेह है या उसे निष्पक्ष जांच पर विश्वास नहीं है, इस स्थिति में सीबीआई जांच का आदेश देना उचित नहीं है। न्यायालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्तुत सामग्री प्रथम दृष्टया अपराध का संकेत देती हो और निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी की आवश्यकता हो।
कैसे मामलों में की जाए सीबीआई जांच की मांग?
सर्वोच्च न्यायाल ने यह स्पष्ट किया कि यह तय करने के लिए कोई कठोर नियम नहीं है कि कब सीबीआई जांच की जानी चाहिए और इस जांच के लिए आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन अदालतें ये कदम ऐसी स्थिति में उठा सकती हैं जब मामला राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय महत्व से जुड़ा हो।
कोर्ट ने इस बात की चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में अनावश्यक रूप से केंद्रीय एजेंसी पर बोझ डालने की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि सीबीआई जांच का आदेश एक अंतिम उपाय है और सभी विकल्पों के समाप्त हो जाने के बाद इसका उपयोग किया जाना चाहिए। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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