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    PM मोदी की साइप्रस की यात्रा ने तुर्किये-पाकिस्तान में क्यों मची खलबली, बेहद दिलचस्प है इस देश का इतिहास

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 02:06 AM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा को तुर्किये के लिए एक रणनीतिक संकेत माना जा रहा है। साइप्रस की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। 1960 में साइप्रस को स्वतंत्रता मिली लेकिन ग्रीक और तुर्किये साइप्रस के बीच विभाजन रहा। तुर्किये के आक्रमण के बाद साइप्रस दो भागों में विभाजित हो गया जो आज भी बरकरार है।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साइप्रस का दौरा किया।(फाइल फोटो)

    जेएनएन, नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साइप्रस की यात्रा को तुर्किये के लिए एक रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है जिसने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लगातार गहरा किया है। आइए जानते हैं साइप्रस भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इसमें तुर्किये की भूमिका क्या है। 

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    साइप्रस की भौगोलिक स्थिति

    साइप्रस, पूर्वी भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप है, जो तुर्किये और सीरिया के निकट है। भौगोलिक ²ष्टि से एशिया में होने के बावजूद, यह यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य है। साइप्रस की जनसंख्या में मुख्य रूप से ग्रीक साइप्रस और अल्पसंख्यक तुर्किये साइप्रस शामिल हैं। ग्रीक साइप्रस के लोग ग्रीस के साथ एकीकरण की आकांक्षा रखते थे, जबकि तुर्किये साइप्रस के लोग द्वीप के विभाजन की वकालत करते थे ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

    ब्रिटिश से स्वतंत्रता

    साइप्रस 300 वर्षों तक ओटोमन शासन के बाद 1878 में ब्रिटेन के अधीन आ गया। 1960 में साइप्रस को स्वतंत्रता मिली, और संविधान में ग्रीक साइप्रस और तुर्किये साइप्रस के बीच सत्ता-साझाकरण व्यवस्था स्थापित की गई। गारंटी संधि ने ब्रिटेन, ग्रीस और तुर्किये को हस्तक्षेप का अधिकार दिया। 1963 में राष्ट्रपति मकारियोस ने सत्ता-साझाकरण व्यवस्था में बदलाव का प्रस्ताव रखा, जिसके परिणामस्वरूप अंतर-सामुदायिक ¨हसा भड़क उठी और संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की स्थापना की गई।

    तुर्किये सैनिकों ने किया आक्रमण

    मकारियोस के ग्रीस के साथ एकीकरण के लक्ष्य को त्यागने के बाद, ग्रीक साइप्रस ने ग्रीक जुंटा की सहायता से तख्तापलट किया। इसके कुछ दिन बाद, तुर्किये सेना ने तुर्किये साइप्रस समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंतित होकर साइप्रस पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण के परिणामस्वरूप ग्रीक साइप्रस के लोग अपने घरों से भागने लगे। तुर्किये सेना ने द्वीप के लगभग 37 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया, जिससे साइप्रस दो भागों में विभाजित हो गया।

    यह विभाजन आज भी ग्रीन लाइन के साथ वास्तविक सीमा के रूप में बना हुआ है। इसकी वजह से लगभग 1.65 लाख ग्रीक साइप्रस लोगों को तुर्किये के कब्जे वाले उत्तर से भागना पड़ा, जबकि लगभग 45,000 तुर्किये साइप्रस के लोग दक्षिण से उत्तर की ओर चले गए।

    स्वतंत्र घोषित हुआ तुर्किये साइप्रस

    1975 में, तुर्किये साइप्रस ने स्वतंत्र प्रशासन की स्थापना की, जिसके अध्यक्ष राउफ डेंकटैश बने। 1983 में, डेंकटैश ने तुर्किये गणराज्य उत्तरी साइप्रस की घोषणा की, जिसे केवल तुर्किये ने मान्यता दी। हालांकि, भारत सहित पूरी दुनिया साइप्रस गणराज्य को मान्यता देती है और पूरे द्वीप पर इसकी संप्रभुता का समर्थन करती है।(जागरण रिसर्च)