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    उत्सवों के जरिए राजनीतिक हित साधने की कोशिश, दही-हांडी पर्व पर निकाय चुनावों की ‘मटकी’ फोड़ने का लिया गया संकल्प

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 09:32 PM (IST)

    मुंबई में भारी बारिश के बावजूद दही-हांडी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। गोविंदाओं की टोलियाँ सड़कों पर घूमती रहीं और राजनेताओं ने भी उत्साह बढ़ाया। इस दौरान ऊंचाई से गिरने से एक गोविंदा की मौत हो गई और कई घायल हो गए। दही-हांडी के आयोजन राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बन चुके हैं जिसमें नेता आगामी चुनावों में सफलता की कामना करते हैं।

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    उत्सवों में नेता साधते राजनीतिक हित। (फाइल फोटो)

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुंबई में हो रही भारी बारिश में आम लोग घरों में दुबके रहे, लेकिन चौराहे-चौराहे पर मनाए जानेवाले दही-हांडी के उत्सव में कोई कमी नहीं दिखाई दी। हांडी फोड़नेवाले गोविंदाओं की टोलियां तो ट्रकों पर सवार होकर घूमती ही रहीं, राजनेता और सेलिब्रिटी भी जगह-जगह पहुंचकर आयोजकों का उत्साह बढ़ाते नजर आए। ये और बात है कि इस पर्व में ऊंचाई से गिरकर एक गोविंदा की मौत हो गई, तो दो दर्जन से ज्यादा के घायल होने की सूचना भी मिल रही है।

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    महाराष्ट्र में त्यौहारों के बहाने राजनीतिक एकजुटता लाने की परंपरा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के समय से ही शुरू हो गई थी। उन्होंने सार्वजनिक गणेशोत्सवों की शुरुआत कर लोगों को संगठित करना शुरू किया, जो आज एक बड़ा रूप ले चुका है। इसी तर्ज पर जन्माष्टमी के अवसर पर सामूहिक रूप से मनाया जानेवाला बड़ा पर्व गोविंदा है, जिसमें युवकों की टोलियां भगवान कृष्ण का अनुसरण करते हुए कई-कई तल के पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं। इस वर्ष 10 तल के पिरामिड भी बनाए गए। इसी प्रयास में एक गोविंदा को ऊंचाई से गिरकर अपनी जान भी गंवानी पड़ी।

    राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का जरिया बने दही हांडी के आयोजन

    पिछले कई वर्षों से दही-हांडी के ये आयोजन राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का भी माध्यम बन चुके हैं। शनिवार को ऐसे ही एक आयोजन में पहुंचकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पिछले वर्ष हमने विधानसभा की सत्ता की हांडी फोड़ी है। अब स्थानीय निकाय चुनावों की भी हांडी भी हम ही फोड़ेंगे। एक अन्य आयोजन में पहुंचकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति ही निकाय चुनावों की हांडी फोड़ेगी। राज्य के शीर्ष नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से ये संकल्प इसलिए व्यक्त किए जाते हैं कि दही-हांडी का आयोजन करनेवाले उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े और वे कुछ ही महीनों बाद शुरू होनेवाली चुनाव प्रक्रिया के लिए तैयार रहें।

    गोविंदा ने लगाए ठुमके

    यही कारण है कि इन आयोजनों के लिए राजनीतिक दलों की ओर से आर्थिक मदद भी की जाती है। इन उत्सवों का आकर्षण बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में फिल्मी हस्तियां भी इनमें पहुंचती हैं। जैसे इस बार भी ठाणे में एकनाथ शिंदे के प्रभाव वाले ठाणे जिले में लगी एक दही-हांडी में फिल्म अभिनेता गोविंदा ठुमके लगाते दिखाई दिए। गोविंदा पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ पहले ही शिवसेना में प्रवेश कर चुके हैं। ठाणे में ही शिंदे की पार्टी के एक मंत्री प्रताप सरनाईक द्वारा आयोजित दही-हांडी में सुनील शेट्टी नजर आए। कुछ अन्य स्थानों पर गुजरे जमाने के जीतेंद्र और जया प्रदा जैसे कलाकार भी पहुंचे।

    उत्सवों के जरिए राजनीतिक हित साधने की कोशिश 

    महाराष्ट्र में विभिन्न उत्सवों के जरिए राजनीतिक हित साधने का प्रयास सिर्फ दही-हांडी उत्सव तक ही सीमित नहीं है। 10 दिन बाद शुरू हो रहे गणेशोत्सव में भी यह दिखाई देगा। 14 अप्रैल को डा.भीमराव आंबेडकर की जयंती पर भी विभिन्न राजनीतिक दल ऐसे आयोजनों में इसी उद्देश्य से बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। महाराष्ट्र में नववर्ष के रूप में मनाए जानेवाले भव्य पर्व गुड़ी-पाड़वा पर तो साफा बांधे महिलाओं का मोटरसाइकिल जुलूस देखते ही बनता है। यहां तक कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर जगह-जगह सत्यनारायण पूजा का आयोजन हो, या 19 फरवरी को पूरे महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का। इन सभी आयोजनों में सभी राजनीतिक दल अपना-अपना आसरा खोज ही लेते हैं।

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