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    'शक्ति का गलत इस्तेमाल हुआ', एक्टर दर्शन को कर्नाटक हाईकोर्ट से मिली जमानत; SC ने जताई नाराजगी

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 02:32 PM (IST)

    फिल्म अभिनेता दर्शन थूगुदीप पर अपहरण टॉर्चर और हत्या के गंभीर आरोप हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक शक्ति का गलत इस्तेमाल बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या जैसे मामलों में ऐसा जमानत आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले की भाषा पर चिंता जताई और पूछा कि क्या ऐसे ही जमानत दी जाती है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने दर्शन थूगुदीप की जमानत पर जताई नाराजगी (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फिल्म अभिनेता दर्शन थूगुदीप पर अपहरण, टॉर्चर और हत्या जैसे गंभीर आरोप लगे थे। इस मामले में अभिनेता को कर्नाटक हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को 'न्यायिक शक्ति का गलत इस्तेमाल' बताया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा जमानत आदेश हत्या जैसे गंभीर मामलों में नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का जमानत देना प्रथम दृष्टया न्यायिक शक्ति का गलत प्रयोग दिखता है।

    क्या है मामला?

    दरअसल, जून 2024 में रेनुकास्वामी नामक एक 33 साल के व्यक्ति के अपहरण, टॉर्चर और हत्या का मामला सामने आया था। इस केस में साउथ इंडियन फिल्म अभिनेता दर्शन मुख्य आरोपी हैं। उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट से जमानत मिल गई, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है।

    पिछले हफ्ते भी सुप्रीम कोर्ट ने इस जमानत को लेकर सवाल उठाए थे और कहा था कि हाई कोर्ट ने न्यायिक शक्ति का सही इस्तेमाल नहीं किया। इस बार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पर्दीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले की भाषा पर कड़ी टिप्पणी की।

    कोर्ट की भाषा को बताया चिंताजनक

    उन्होंने पूछा कि क्या हाई कोर्ट ने इसे बरी करने जैसा आदेश दिया है? उन्होंने कहा कि हम दोषी या निर्दोष होने का फैसला नहीं देंगे, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश की भाषा और तर्क चिंताजनक हैं।

    कोर्ट ने कहा कि क्या हत्या जैसे गंभीर मामलों में ऐसे ही जमानत के आदेश दिए जाते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, "हाई कोर्ट का यह कहना कि गिरफ्तारी के कारण नहीं बताए गए, यह बेहद चौंकाने वाला है खासकर एक हत्या के केस में।"

    जस्टिस ने उठाए सवाल

    जस्टिस पर्दीवाला ने सवाल उठाया कि क्या हाई कोर्ट हर मामले में इसी तरह के आदेश देता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे आरोपी को पहले ही निर्दोष मान लिया गया है।

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